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आजाद हिंद सरकार की स्थापना कब हुई
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आजाद हिंद सरकार के स्थापना दिवस पर सुभाष चंद्र बोस को किया गया याद

बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन। 

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ( Netaji Subhash Chandra Bose ) को आजाद हिंद सरकार के स्थापना दिवस पर जनपदभर में याद किया गया और उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। गेटवे इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल एवं प्रमुख समाज सेवी अमित चौहान ने बताया कि नेताजी ने देश को आजाद कराने के लिए जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया। अमित चौहान ने बताया कि 21 अक्टूबर वर्ष 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में भारत की अनंतिम सरकार, आजाद हिंद सरकार की स्थापना की। सुभाष चंद्र बोस इस सरकार के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और सेनाध्यक्ष थे।

21 अक्टूबर वर्ष 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने की थी आजाद हिंद सरकार की स्थापना – अमित चौहान

अमित चौहान ने बताया कि आजाद हिंद सरकार को जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मांचुकुओ और आयरलैंड़ सहित 11 देशों की सरकार द्वारा मान्यता दी गयी थी। अमित चौहान ने सुभाष चंद्र बोस ( Subhash Chandra Bose ) के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सुभाष चंद्र बोस के पिता जानकीदास बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में  | नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानकारी

वह बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे। अंग्रेजी सरकार ने जानकीदास बोस को रायबहादुर का खिताब दिया था। सुभाष चंद्र बोस ने वर्ष 1919 में बीए ऑनर्स की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया। सुभाष चन्द्र बोस ने लन्दन में वर्ष 1920 में आईसीएस में चौथा स्थान प्राप्त किया जो एक भारतीय के लिए उस दौर में बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

अमित चौहान ने कहा कि आईसीएस अधिकारी के रूप में अगर सुभाष चंद्र बोस चाहते तो अपना पूरा जीवन ऐश और आराम के साथ गुजार सकते थे, लेकिन वह देश से बहुत प्यार करते थे और अंग्रेजो द्वारा देशवासियों पर किये जा रहे अत्याचारों से बहुत अधिक व्यथित थे। वह जून वर्ष 1921 में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान में ट्राइपास आनर्स की डिग्री प्राप्त करने के बाद लंदन से भारत आ गये और देशवासियों को अंग्रेजों के विरूद्ध एकजुट करने का कार्य किया।

Netaji Subhash Chandra Bose ने देश के अनेकों आन्दोलनों और राजनीति में बढ़-चढ़कर भाग लिया। उस समय के सभी शीर्ष नेता और क्रांतिकारियों के साथ कार्य किया। धीरे-धीरे उनको समझ आ गया कि अंग्रेजों को अहिंसा की भाषा से सबक नही सिखाया जा सकता। उन्होंने अंग्रेजो से टक्कर लेने के लिए लोगों की आजाद हिंद फौज में भर्ती की और कई मोर्चो पर अंग्रेजो को भारी नुकसान पहुॅंचाया और देश के दुश्मनों से कुछ भारतीय क्षेत्रों को मुक्त कराया।

 

नेताजी के कार्यो ने अनगिनत क्रांतिकारियों में एक अलग ही जोश भर दिया और क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सरकार के विरूद्ध अपने हमले तेज कर दिये। अमित चौहान ( Amit Chauhan ) ने बताया कि नेताजी अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए रहस्यमयी तरीके से गायब हो गये। कुछ लोगों का मानना था कि उनकी प्लेन एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी, कुछ लोग कहते है कि उनको दुश्मनों ने षड़यंत्र रचकर कैद कर लिया।

अमित चौहान ने कहा कि इसमें कोई संदेह नही कि नेताजी ने देश की आजादी में जो योगदान दिया उसको युगों-युगों तक याद रखा जायेगा। उन्होंने देशवासियों से नेताजी के जीवन और विचारों से प्रेरणा लेने की बात कही।

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