झांसी: हमारे समूचे बुंदेलखंड के विख्यात बरिष्ठ कवि, लेखक और विद्वान साहित्यकार परम श्रद्धेय कीर्ति शेष श्री सी एल ओझा ‘मधुकर’ जी को आज उनकी चौदहवीं पुण्यतिथि पर हृदय से कोटि कोटि नमन।
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Toggle“झांसी के साहित्यकार सी.एल. ओझा ‘मधुकर’ जी को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि”
मुक्तिदूत (बाबा साहब पर), क्रांतिदूत, राष्ट्र-दूत, यह कैसा जनतंत्र?,समय की पुकार, दहेज दानव,प्रकृति दर्पण, भू-वंदना और अक्षर-स्मृति (तीन खण्ड) इत्यादि।एस आर पी इंटर कालेज कोंच(जालौन) से बरिष्ठ हिन्दी प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद, अपने पुत्र इंजीनियर एस के ओझा जे ई(नगर निगम झांसी) के साथ झांसी में रहने लगे थे।
सी.एल. ओझा ‘मधुकर’ जी की 14वीं पुण्यतिथि: झांसी और बुंदेलखंड के साहित्यिक स्तंभ को नमन
जिला जालौन की तरह ही झांसी की तमाम सामाजिक, साहित्यिक संस्थाओं में जुड़कर अति अहम भूमिकाएं निभायीं।आपकी ओजमयी, मधुर और बुलंद वाणी थी। कई बार आकाशवाणी से कार्यक्रम प्रसारित होते रहे। बुन्देलखण्ड में आप बहुत लोकप्रिय हुए। झांसी और बुंदेलखंड में अनेक साहित्य संस्थानों में आप पदाधिकारी रहे।
हम जैसे तमाम झांसी क्षेत्र के कवियों और साहित्यकार को आपकी महान विद्वता का भरपूर लाभ हासिल हुआ।परम श्रद्धेय श्री ओझा “मधुकर” जी के हंसमुख स्वभाव को कभी न भूल पाएंगे हम लोग।
दिनांक 13.12.1935 को जिला जालौन के “सिरसा दो गढ़ी गांव” में उनका जन्म हुआ था।
भरा पूरा परिवार छोड़कर श्री ओझा जी, दिनांक- 08.07.2006 को ब्रह्मलीन हो कर सतलोक वासी हुए।ओझा जी साहित्य विधा को सदा रहे समर्पित।दिलसे हम उनको श्रृद्धा सुमन करते हैं अर्पित।
