2000 का नोट प्रचलन से होगा बाहर :RBI वापस लेगा, 30 सितंबर तक बैंकों में बदल सकेंगे, एक बार में 10 नोट ही चेंज होंगे
नई दिल्ली - 2000 Note Update News - प्राप्त जानकारी के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह ₹2000 के नोटों को प्रचलन से हटा लेगा जिन लोगों के पास ₹2000 के नोट हैं वह लोग 30 सितंबर यानी कि 131 दिनों के अंदर वह 2000 के नोट को बैंक में जमा कर सकते हैं बैंक में जाकर बदल सकते । हालांकि ₹2000 का नोट 23 मई 2023 तक कानूनी तौर पर चलन में रहेगा आरबीआई ने आगे कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रातों-रात 1000 और 500 के नोट खत्म करने के बाद आरबीआई ने नवंबर 2016 में 2000 का नोट छापना शुरू किया था।
दूसरे अलग-अलग मूल्य वर्ग के नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाने के बाद 2000 का नोट पेश करने का उद्देश्य पूरा हो गया था इसलिए 2000 के नोट की छपाई बंद कर दी गई थी । 2000की नोट 30 सितंबर तक लिए जाएंगे वापस । परिचालन सुविधा सुनिश्चित करने और बैंक शाखाओं में निम्मी गतिविधियों में व्यवधान से बचने के लिए 23 मई 2023 से किसी भी बैंक में एक बार में भी 2000 के नोटों अन्य मूल्य वर्ग की बैंक के नोटों को सीमा 20000 तक बदला जा सकता है ।
विमुद्रीकरण के निर्णय से किन लोगों को होगी हानि
2000 मूल्य वर्गिकी नोटों को बंद करने का फैसला देश के लिए आश्चर्यजनक रूप से आया है । उच्च मूल्य की करेंसी नोटों की अचानक वापसी का उद्देश्य काले धन को बाहर निकालना एवं जाली नोटों के खतरों से निपटने और डिजिटल लेनदेन की ओर एक बदलाव को बढ़ावा देना है । भारत सरकार के मुताबिक इन नोटों को प्रचलन से बाहर करने से काला धन की जमाखोरी करने वालों और अवैध गतिविधियों में शामिल होने वाले लोगों को तगड़ा झटका लगेगा लेकिन मध्यवर्ग को खुशी किसी भी प्रकार की क्षति नहीं होगी।
जैसी ही नया आदेश जारी हुआ उसके तुरंत बाद बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी कतारें देखी गई क्योंकि लोग अपने पुराने नोटों को अपने बैंक खाते में जमा करने एवं बदलने के लिए भागदौड़ करने लगे है । आपको बताते चलें की नगदी पर निर्भर अर्थव्यवस्था में अचानक व्यवधान की बाद विभिन्न क्षेत्रों में स्थाई व्यवधान का कारण बना हुआ है । छोटे दुकानदार प्रतिदिन कमाकर खाने वाले ग्रामीण क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं क्योंकि वह अपने दैनिक कार्यों के लिए नगद लेनदेन पर बहुत अधिक निर्भर थे ।
₹2000 की नोटों पर चलने से बाहर करने का उद्देश्य क्या है ?
विमुद्रीकरण के प्राथमिक उद्देश्यों की अगर बात की जाए तो सबसे प्रथम स्थान पर काला धन और जाली नोटों से निपटना माना जा रहा है । जबकि इसकी सटीक आंकड़े अभी तक निकल कर सामने नहीं आए हैं विमुद्रीकरण के कुछ सकारात्मक परिणाम जरूर देखने के मिले हैं जैसे कि आतंकवाद 2016 की नोट बंदी के बाद आतंकवाद में काफी हद तक कमी देखने को मिली है। इसके अलावा बेहिसाब लेनदेन का खुलासा किया गया है जिससे कर अनुपालन में वृद्धि हुई और कर आधार व्यापक हुआ है । नकली करेंसी पर कार्यवाही से अवैध नेटवर्क बाधित हुए हैं और नकली नोट बनाना कठिन हो गया हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निर्धारित जालसाजोने तब से लेकर और जाली मुद्रा बनाना जारी रखा है ।
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डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना मुख्य उदेश्य
विमुद्रीकरण का उद्देश्य डिजिटल भुगतान digital currency और कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव को प्रोत्साहित करना भी था। नकदी की अचानक कमी ने व्यक्तियों और व्यवसायों को वैकल्पिक भुगतान विधियों, जैसे मोबाइल वॉलेट, डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन लेनदेन का पता लगाने के लिए मजबूर किया। इस कदम से एक महत्वपूर्ण व्यवहार परिवर्तन आया, क्योंकि अधिक लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म से परिचित हो गए और कैशलेस लेनदेन को अपनाने लगे। 2016 के विमुद्रीकरण के बाद भारत में डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से वृद्धि हुई है, मोबाइल भुगतान ऐप के उपयोगकर्ताओं और लेनदेन में वृद्धि देखी गई है।
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2000 रुपये के नोट का विमुद्रीकरण भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने की दिशा में एक साहसिक कदम साबित होगा। इसका मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार, काले धन और जाली मुद्रा से संबंधित मुद्दों का समाधान करना है। इस निर्णय से अर्थव्यवस्था में एक अस्थायी व्यवधान आया, लेकिन डिजिटल लेनदेन की ओर एक बदलाव के लिए भी प्रेरित किया।