रिपोर्ट,दिलीप कुमार
परसरामपुर (बस्ती ) – सचिवों के स्थानांतरण में जिम्मेदार अधिकारियों ने बड़ा खेल किया है । जिम्मेदार अधिकारियों को स्थानांतरण नीति से कोई मतलब नहीं है उनका सीधा उद्देश्य अपनी जेब गर्म करना है ।

शासनादेश के अनुसार 03 वर्षों से एक ही स्थान पर / एक ही कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों / कर्मचारियों को स्थानांतरण नीति के आधार पर स्थानांतरण करने का आदेश जारी है । स्थानांतरण नीति के आधार पर समस्त विभागों में अधिकारियों / कर्मचारियों का स्थानांतरण होता है स्थानांतरण नीति का पालन करवाना जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा प्रतिवर्ष सचिवों के स्थानांतरण में मनचाहा स्थानांतरण किया जाता है ।
सात वर्षों से एक ही ब्लाक पर तैनात सचिव स्थानांतरण की आस में बैठा
सूत्रों की माने तो सचिवों के स्थानांतरण में प्रति सचिव से मनचाहा शुल्क लिया जाता है प्रति सचिवों से स्थानांतरण के नाम पर 01 लाख रुपए वसूला जाता है और मनचाहा विकासखण्ड सचिवों को दिया जाता है चाहे सचिवों का 03 – 06 महीने ही क्यों न कार्यकाल विकासखण्ड पर पूर्ण हो । यदि 01 लाख रुपए देने में सचिव असमर्थ हैं तो 07 साल भी पूर्ण होने पर सचिवों का स्थानांतरण नही होता है ।
ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है कि विकासखण्ड परसरामपुर में तैनात एक ही सचिव 07 वर्षों से अधिक का कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को मुंह मांगा शुल्क देने में असमर्थ सचिव का स्थानांतरण नही हो पा रहा है । पीड़ित सचिव ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि भ्रष्टाचार के रखवाले ही भ्रष्टाचार करेंगे तो गांवों का विकास नही विनाश होगा और चारो तरफ भ्रष्टाचार की नदी बहेगी । आखिर 03 महीने ,06 महीने और 01 वर्ष पूर्ण करने वाले सचिवों होता है तो 07 वर्ष से अधिक का समय पूर्ण करने पर भी हमारा स्थानांतरण क्यों नहीं हो रहा है ? जो शासन प्रशासन पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है ।