बागपत, 12 मई 2025 — भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के स्वायतशासी निकाय माय भारत से सम्बद्ध युवा संगठन उड़ान यूथ क्लब ने युवाओं के बीच इतिहास, विरासत और जिम्मेदार नागरिकता को लेकर चेतना फैलाने की दिशा में एक नवोन्मेषी पहल की है। “चलो म्यूजियम चलें – जिम्मेदार नागरिकता अभियान” नामक इस प्रयास के माध्यम से युवाओं को संग्रहालयों की ओर आकर्षित कर उनके भीतर संस्कृति से जुड़ाव और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने का संकल्प लिया गया है।
जहाँ एक ओर डिजिटल युग में युवाओं की रुचि इंस्टेंट कंटेंट और आभासी दुनिया तक सीमित होती जा रही है वहीं दूसरी ओर देश की सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक समझ पीछे छूटती जा रही है। ऐसे में उड़ान यूथ क्लब की यह पहल समय की माँग प्रतीत होती है जो संग्रहालय जैसे जीवंत ज्ञान केन्द्रों को युवाओं के सामाजिक प्रशिक्षण से जोड़ने का एक अभिनव प्रयास है। इस अभियान के अंतर्गत 18 मई अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस तक युवाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे अपने नजदीकी म्यूजियम का भ्रमण करें और उस अनुभव को फोटो तथा विचारों के माध्यम से साझा करें। इसके बदले उन्हें “जिम्मेदार नागरिकता प्रमाण पत्र” और एक डिजिटल बैज प्रदान किया जाएगा जो उनके सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग होने का प्रतीक होगा।
उड़ान यूथ क्लब के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य युवा पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता अमन कुमार ने इस अभियान की विशिष्टता को रेखांकित करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि म्यूजियम केवल किताबों का विषय न रह जाए, बल्कि युवाओं के अनुभव का हिस्सा बने। म्यूजियम से जुड़ाव, संस्कृति और इतिहास की समझ बढ़ाता है — और यही समझ एक ज़िम्मेदार नागरिक की नींव है।” वे आगे बताते हैं कि अभियान का पहला चरण दो हजार युवाओं को जोड़ने का लक्ष्य लेकर चला है और माय भारत पोर्टल के माध्यम से युवा भागीदारी सुनिश्चित कर रहे है।
इस अभियान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह केवल भ्रमण तक सीमित नहीं है। युवा प्रतिभागी अपने अनुभव साझा कर रहे हैं — जिससे एक राष्ट्रीय संवाद बन रहा है जिसमें जवाबदेही, गर्व और पहचान जैसे मूल्य केंद्र में हैं। यह सामाजिक परिवर्तन की दिशा में उठाया गया ऐसा कदम है जिसमें संस्कृति को माध्यम बनाकर भविष्य की नींव रखी जा रही है। इस पहल को देशभर के युवाओं से व्यापक समर्थन मिल रहा है। यह देखा जा रहा है कि युवा अब एक उद्देश्यपूर्ण अनुभव के लिए संग्रहालयों की ओर रुख कर रहे हैं। यह जनांदोलन की शुरुआत कही जा सकती है — जहाँ इतिहास के अध्ययन को सामाजिक सरोकार से जोड़ा जा रहा है।