जालौन,उरई शहर के मवई रोड की खस्ताहाल स्थिति अब एक गंभीर जनसमस्या बन चुकी है। इस मार्ग पर स्थित चार विद्यालयों में पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चों के लिए रोज़ स्कूल आना-जाना किसी जोखिम भरे अभियान से कम नहीं रहा। गड्ढों से भरी यह सड़क न केवल बच्चों की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रही है, बल्कि ‘गड्ढा मुक्त सड़क’ का दावा करने वाली सरकार की जमीनी हकीकत को भी उजागर कर रही है।
स्थानीय निवासियों और अभिभावकों ने बताया कि मवई रोड से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में वाहन गुजरते हैं, लेकिन यह आज भी सिंगल रोड ही है। सड़क पर इतने गहरे गड्ढे हैं कि बरसात के दिनों में ये दुर्घटनाओं को न्यौता देते हैं। स्कूली बसों और ऑटो में सफर कर रहे बच्चे अक्सर असंतुलित होकर गिरने से बाल-बाल बचते हैं। कई बार वाहन फिसल चुके हैं, जिससे चोटिल होने की घटनाएं सामने आई हैं।
एक अभिभावक ने बताया, “सरकार डिजिटल शिक्षा, नई नीति और एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करती है, लेकिन जब बच्चा ही स्कूल नहीं पहुंच पाएगा, तो पढ़ाई किस काम की?”
मवई रोड technically नगर पालिका क्षेत्र में आता है, और उरई जिला मुख्यालय का हिस्सा होते हुए भी इसकी हालत ग्रामीण अंचलों से भी बदतर बताई जा रही है। सवाल यह भी उठता है कि जब यह मार्ग शहर के मुख्य ट्रैफिक रूट में शामिल है, तो इसे चौड़ा और सुचारु क्यों नहीं किया गया?
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि मवई रोड की तात्कालिक मरम्मत कर उसे गड्ढा मुक्त किया जाए, साथ ही सड़क का चौड़ीकरण कर इसे दोहरी लेन में बदला जाए।अब देखना यह है कि ज़मीन पर गहराते इन गड्ढों के बीच कोई समाधान निकलता है या यह मुद्दा भी अन्य समस्याओं की तरह ‘कागज़ों’ में ही दम तोड़ देगा।
