नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व और वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक बार फिर वैश्विक व्यापार जगत को हिला दिया है। ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल 2025 से व्यापक टैरिफ नीति लागू की है, जिसके तहत कई देशों से आयात होने वाले सामान पर भारी शुल्क लगाया जा रहा है।
ट्रंप टैरिफ क्या है?
सरल भाषा में कहा जाए तो टैरिफ वह कर है जो किसी देश की सरकार आयातित सामान पर लगाती है। ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिकी उद्योगों को मजबूती मिलेगी, स्थानीय रोजगार बढ़ेंगे और चीन जैसे देशों पर आर्थिक दबाव बनेगा।
किन देशों पर सबसे ज्यादा असर?
भारत: अमेरिका ने भारतीय सामान पर लगभग 50% तक का टैरिफ लगाया है। इसका सीधा असर भारत से अमेरिका जाने वाले टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग गुड्स और फूड प्रोडक्ट्स पर देखा जा रहा है।
चीन: ट्रंप प्रशासन ने चीन पर 100% से अधिक शुल्क बढ़ा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा हो गया है।
एशियाई देश: इंडोनेशिया, कम्बोडिया, लाओस और म्यांमार जैसे देशों से आने वाले सामान पर भी 25% से 40% तक टैरिफ लगाया गया है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर संकट
भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से रणनीतिक साझेदारी और व्यापारिक सहयोग रहा है। लेकिन नई टैरिफ नीति ने इस रिश्ते को चुनौती दी है। भारतीय निर्यातकों का मानना है कि इतनी ऊँची दरें बाजार को नुकसान पहुँचा सकती हैं और छोटे-बीच के उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
हालांकि ट्रंप प्रशासन का कहना है कि टैरिफ से घरेलू उद्योगों को फायदा होगा, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे अमेरिका में महँगाई बढ़ सकती है। बड़ी कंपनियाँ आयातित सामान की जगह घरेलू विकल्प तलाश रही हैं, जबकि कई रिटेलर्स लागत खुद वहन कर रहे हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह नीति लंबे समय तक कायम रह सकती है, भले ही ट्रंप का कार्यकाल खत्म क्यों न हो। ऐसे में वैश्विक व्यापार संतुलन और भी जटिल हो सकता है।