दिल्ली के उत्तम नगर इलाके से एक ऐसा खौफनाक मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस बार शिकार कोई महिला नहीं, बल्कि एक मासूम पति बना है। जिस पत्नी पर भरोसा किया, उसी ने विश्वासघात करते हुए जान ले ली। ये कहानी सिर्फ एक मर्डर नहीं है, बल्कि एक सामाजिक चिंता का विषय बन गई है।
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Toggleक्या हुआ था उस दिन?
करण नाम का युवक, जो उत्तम नगर में अपने परिवार के साथ रहता था, अचानक एक दिन घर में मृत पाया गया। उसकी पत्नी सुष्मिता ने दावा किया कि करण को बिजली का झटका लगा, जिससे उसकी मौत हो गई। घरवालों और पड़ोसियों को शुरुआत में इस बात पर शक नहीं हुआ, लेकिन जब पुलिस मौके पर पहुंची तो कुछ बातें असामान्य लगीं।
पुलिस ने जब पोस्टमार्टम के लिए कहा, तो पत्नी सुष्मिता ने टालमटोल शुरू कर दी। यही बात पुलिस और परिजनों को खटक गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या निकला?
जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, तो सबके होश उड़ गए:
- करण को 15 नींद की गोलियां दी गई थीं।
- उसके बाद उसे बिजली से झटका देकर तड़पा-तड़पा कर मारा गया।
- शरीर पर बिजली के जलने के कई निशान मिले।
रिपोर्ट ने साफ कर दिया कि ये कोई एक्सीडेंट नहीं, बल्कि सोची-समझी हत्या थी।
कातिल कोई और नहीं, पत्नी ही थी!
पूछताछ के दौरान सुष्मिता टूट गई और उसने जो बताया वो और भी चौंकाने वाला था:
- वह अपने चचेरे देवर के साथ अवैध संबंध में थी।
- करण उसके रास्ते की रुकावट बन रहा था।
- इसलिए उसने उसे रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया।
पति सुरक्षा की मांग तेज
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर और समाज में एक नई बहस शुरू हो गई है।
अब तक “महिला सुरक्षा कानून” की बात होती थी, लेकिन अब लोग सवाल कर रहे हैं:
- क्या पुरुषों की कोई सुरक्षा नहीं?
- क्या पतियों की जान की कोई कीमत नहीं?
- क्या अब शादी करना भी खतरे से भरा हो गया है?
“पति सुरक्षा अधिनियम” जैसे कानून की मांग अब ज़ोर पकड़ रही है।
समाज के लिए सीख:
- संबंधों में पारदर्शिता और ईमानदारी जरूरी है।
- लव अफेयर या एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप सिर्फ एक जीवन को नहीं, पूरे परिवार को बर्बाद कर सकते हैं।
- अब समय आ गया है कि महिलाओं को केवल पीड़ित मानने की सोच बदली जाए।
- पुरुषों के अधिकारों और सुरक्षा को भी महत्व दिया जाए।
निष्कर्ष:
करण की मौत ने हमें झकझोर कर रख दिया है। सच्चाई ये है कि अपराध किसी भी जेंडर से हो सकता है – न तो हर महिला पीड़िता होती है, और न ही हर पुरुष दोषी।
समाज को अब संतुलन के साथ सोचना होगा और न्याय की बात करनी होगी – चाहे वह महिला के लिए हो या पुरुष के लिए।
आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है कि पति सुरक्षा कानून जरूरी है?
क्या ऐसे मामलों पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए?
अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में ज़रूर दें।

Author: भूपेन्द्र सिंह कुशवाहा
पेशे से पत्रकार , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया एवं विभिन्न न्यूज़ पोर्टल का अनुभव, सभी चैनलों का अपना अपना एजेंडा लेकिन मेरी विचारधारा स्वतंत्र पत्रकार की "राष्ट्र हित सर्वप्रथम"