दिलीप कुमार
बस्ती – खरीफ की प्रमुख फसलों में धान मुख्य खाद्यान्न है, जिसमें सकरी, पत्ती, चौड़ी, मोथा आदि खरपतवार फसल से नमी, पोषक तत्व, सूर्य का प्रकाश व स्थान हेतु प्रतिस्पर्धा करते है, इससे मुख्य फसल के उत्पादन में कमी आ जाती है। उक्त जानकारी देते हुए जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने बताया कि पैदावार में कमी के साथ-साथ खरपतवार धान में लगने वाले रोगों जीवाणुओं/कीट व्याधियों को भी आश्रय देते है। उन्होने बताया कि धान का रोपाई/बुआई की 15-25 दिन के अन्दर प्रयोग किया जाने वाला खरपतवारनाशी विस्पायरीबैक सोडियम 10 प्रतिशत एस.सी. कृषि रक्षा इकाई पर 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है, जिसका लाभ किसान भाई उठा सकते है।
उन्होने बताया कि प्रमाणित बीज के प्रयोग, अच्छी सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद के प्रयोग, सिचाई की नालियों की सफाई आदि निवारण विधियों द्वारा धान में खरपतवारों का प्रवेश रोका जा सकता है। इसके अतिरिक्त यान्त्रिक विधियों जैसे हैण्डविडिंग को चलाकर पैडीवीडर आदि द्वारा भी इनका नियंत्रण हो सकता है। साथ ही शस्य क्रियाओं जैसे गहरी जुताई, स्टेल सीडबेड, कतार में बुआई, सिंचाई व जल का उचित प्रबंधन, उर्वरको का संतुलित प्रयोग करके ही खरपतार नियंत्रण किया जा सकता है।
उन्होने बताया कि रोपाई वाले धान में खरपतवारों के नियंत्रण हेतु व्यूटाक्लोर 5 प्रतिशत ग्रेन्यूल 30 से 40 किग्रा. प्रति हेक्टयर या पेन्डीमेथिलीन 30 प्रतिशत ई.सी. 3.3 लीटर या एनिलोफॉस 30 प्रतिशत ई.सी. 1.65 लीटर या ब्यूटाक्लोर 50 प्रतिशत ई.सी. 2 से 2.25 लीटर प्रति हेक्टेयर या प्रेटिलाक्लोर 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई से 3-4 दिन के अन्दर प्रयोग करें। ब्यूटाक्लोर का प्रयोग 3-4 सेमी. पानी में करना चाहिए। दानेदार रसायनों के प्रयोग के समय खेत में 4 से 5 सेमी. पानी भरा होना चाहिए। यदि रोपाई/बुआई के बाद भी खरपतवार निकल आते है तो 15-25 दिन के अन्दर बिस्पायरीबैक सोडियम 10 प्रतिशत एस.सी. की 200 मिली. मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से फसल में प्रयोग करे। यह एक ब्रोड स्पेक्ट्रम खरपतवारनाशी है जो सकरी व चौड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवारों को तीन पत्ती अवस्था तक नष्ट करता है। उन्होने बताया कि केवल चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण हेतु 2-4डी सोडियम साल्ट की 625 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर में रोपाई के एक सप्ताह बाद प्रयोग करें।
