झाँसी :महारानी लक्ष्मीबाई सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में शुक्रवार रात साढ़े 10 बजे हुआ।इस भयानक हादसे में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। वार्ड की खिड़की तोड़कर 39 बच्चो को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। अभी तक 8 बच्चो की सूचना नहीं मिल पाई है।
महोबा के रहने वाले कुलदीप ने बताया उसका बेटा महोबा सरकारी अस्पताल से 9 नवंबर को बेटे को यहाँ रेफेर किया गया था। जब आग लगी में दौड़कर वहा पंहुचा। पीछे वाले गेट तोड़ा गया। देखा तो डॉक्टर भाग रहे थे। वहा अन्दर गया, वहा बहुत धुआँ था। कुछ बच्चे मारे हुए थे। लेकिन मेरा बच्चा नहीं था। इसके बाद मैंने ने 4-5 बच्चो को बाहर निकाला । अब उसे मीडिया में बयान देने पर अस्पताल प्रशासन से धमकी मिल रही है। मुझसे कहा जा रहा की तुम कैसे बयान दे रहे हो। कुलदीप का कहना है, जो मैंने देखा वही तो बोलूंगा। में अपने बच्चे के बारे में क्या कहु,कोई उम्मीद नहीं है।
यह हादसा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पर्किंग के चलते आग लगी फिर धमाका हो गया, पूरे वार्ड में आग फैल गई। अस्पताल के वार्ड बॉय ने आग बुझाने के लिए अग्निशमन यन्त्र चलाया लेकिन वह अग्निशमन यन्त्र 4 साल पहले एक्सपायर हो चुका था इसलिए आग पर काबू पाया नहीं गया। सूचना मिलते ही 10:50 बजे फायर ब्रिगेड की 6 गाड़िया पहुंची। फायर ब्रिगेट की टीम ने10:55 खिड़की तोड़कर पानी की बौछारें मारी। भीषण आग देखते हुए सेना को बुलाया गया।11:20 पर सेना पहुंची करीब 2 घंटे में आग पर काबू पाया गया।
रात 12:05 पर 10 नवजातो की मौत की पुष्टि हुई ।
जबकि 8 परिजन को उनके बच्चो का पता नहीं चल पा रहा है। परिजनों ने कहा की इनके बच्चे भी वार्ड में भर्ती थे। हालांकि हादसे के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन कोई जानकारी नहीं दे रहा है। इसे लेकर परिजनों ने हंगामा भी किया। जिन 8 परिजनों को उनके बच्चे नहीं मिल रहे। उनके नाम
•झांसी की रेखा की जुड़वाँ बेटी नहीं मिल रही।
•महोबा की नीलू का बेटा नहीं मिल रहा।
•जौनपुर की अभिलाषा का बेटा नहीं मिल रहा।
•जालौन की शांति और संतोषी के बेटा नहीं मिल रहे।
•झांसी की कविता और संध्या के बेटे नहीं मिल रहे।
पुलिस के मुताबिक हादसे के बाद 16 बच्चो को मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया। 7 बच्चे निजी अस्पताल में भर्ती है। 6 बच्चो के परिजन अभी तक नहीं मिले।
अपनी जान पर खेलकर नवजात बच्चो को बचाने वाले तीन व्यक्तियों के नाम
•पुष्पेंद्र यादव ने वार्ड में करीब 30 मिनट तक 15-20 बच्चों को रेस्क्यू किया।
•कृपाल सिंह ने बताया की उनका पोता भर्ती है, बच्चे को दूध पिलाने के लिए अनाउसमेन्ट हुआ कहा की अपने अपने बच्चो को दूध पिलाने के लिए आ जाओ। 6,7 नाम बोले गए थे हम अंदर गए तभी एक नर्स दौड़कर बाहर आई जहाँ आग लगी थी। चिल्लाने लगी आग लग गई है। कृपाल सिंह बताते है, यह सुनते ही में अंदर गया वहां एक चेयर में आग लगी है। हमने उसे बाहर निकाला। फिर हम बच्चो को बचाने में जुट गए। उन्हें बचाना हमने प्राथमिकता समझा। बच्चो को निकाला बच्चे बच जाये, चाहे किसी के भी बच्चे ही। हमें यह भी नहीं पता कि हमारा बच्चा कहा है?किस पलंग पर लेटा है? हमने तो सब बच्चो को बाहर निकलना शुरू किया। उसमे ये नहीं देखा कि कौन -सा किसका है?पीछे की खिड़की की जाली तोड़कर वार्ड में अपने बच्चे को ढूंढेंते पहुंचे उन्होंने 6 बच्चो को रेस्क्यू किया।
•ललित यादव ने बताया की वह हाथ धो रहे थे साईरन की आवाज़ सुनकर वह वार्ड में गए वहा बहुत धुआँ था, दो महिला बच्चो को गोद में लिए थी उनसे बच्चा लेकर नर्स से देकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया ।
हादसे से जुड़े वीडियो में सामने आया है, की एक तरफ अस्पताल में चीख-पुकार मची हुए थी। दूसरी तरफ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के पहुंचने से पहले सडक की सफाई कर चुना डाला जा रहा है। मामला सुर्खियों में आने के बात डिप्टी सीएम ने वीडियो जारी कर बयान दिया। कहा उन्होंने डीएम से उन लोगो पर एक्शन लेने के लिए कहा जिन्होंने चुना छिड़कवाया है।
