Jalaun News today: जालौन जिले की मलकपुरा (GPMalakpura) ग्राम पंचायत के एक विद्यालय के बच्चों ने बहुत बड़ा करिश्मा कर दिखाया है. इसे बिजली उत्पादन के क्षेत्र में एक क्रांति माना जा सकता है.अपको बताते चले कि यह अविष्कार बच्चों का अभी तक का सबसे महंगा और सबसे बड़ा साइंस प्रोजेक्ट था.
इसे बनाने में कक्षा ६, ७ और ८ के बच्चों ने पैसे जोड़े और काम शुरू किया. Vertical Wind Turbine को बनाने में कई दिन और घंटे लगे. रोज थोड़ा-थोड़ा काम करते थे. लोहे का स्ट्रक्चर जालौन (Jalaun ) में बनवाया फिर बकाया काम स्कूल में ही किया.
मतलब उन्हें पता नहीं था कि प्रोजेक्ट सफल होगा या नहीं. इंडोर टेस्टिंग की तो आर्टिफिशियल विंड से काम चलाया. फिर आज फाइनल टेस्टिंग ओपन स्पेस में की और नैचुरल विंड में. वर्किंग परफेक्ट रही! दरअसल, इस विंड टरबाइन को रोड/हाईवेज के डिवाइडर पर लगाकर बिजली बनाई जा सकती है. फ्री एंड क्लीन इलेक्ट्रिसिटी से लाइट जलती है, पंप चलता है और अतिरिक्त बैटरी में स्टोरेज होती है.
प्रोजेक्ट को पूर्ण करने में पैसे कम पड़े तो एक बार कोतवाली जालौन से विमलेश जी (SHO) आए थे, उन्होंने कुछ पैसे दिए थे, वे लगा दिए.आज खंड शिक्षा अधिकारी जी (शैलजा व्यास) आईं थी. उन्होंने Live निरीक्षण किया. सवाल-जवाब हुए बच्चों ने आगे का प्लान बताया. बच्चों की खूब तारीफ हुई. बच्चों में पहले से ही उत्साह था. खंड शिक्षा अधिकारी जी (BSA) ने अगले बड़े प्रोजेक्ट में हेल्प करने का वादा किया. उससे पहले अब कुछ बच्चे अपने अपने इस्तेमाल के लिए रिन्यूएबल एनर्जी वाली एक-एक इमरजेंसी लाइट बनाएंगे. उसके बाद बड़ा प्रोजेक्ट. फिलहाल पूरा फोकस रिन्यूएबल एनर्जी पर है.
ग्राम पंचायत अमित (AMIT)और स्कूल के बच्चो का प्लान है कि एक चिट्ठी यूपीडा को लिखी जाएगी और उनसे साइंस लैब बनाने के लिए कहा जाएगा. दरअसल, यूपीडा ने हमारे से निकलने वाला बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बनाया है. उदघाटन के समय उन्होंने आधिकारिक तौर पर वादा किया था कि स्कूल में साइंस लैब बनाई जाएगी, कम्प्यूटर, सोलर इन्वर्टर आदि दिए जाएंगे लेकिन डेढ़ साल बीत गया, कुछ नहीं दिया. साइंस बहुत मजेदार है. खासकर फिजिक्स के प्रोजेक्ट्स. बच्चे साथ काम करना सीखते हैं. फिजिक्स में रूचि पैदा होती है. किताबें पढ़ने में मन लगता है और इस तरह पढ़ाई और प्रयोग का चक्र चल पड़ता है.
पंडित नेहरू से लेकर वर्तमान में मोदी जी तक, सभी साइंस पर जोर देते आए हैं. इसीलिए बच्चे भी साइंस और रिन्यूएबल एनर्जी पर जोर दे रहे हैं. बच्चों से कह दिया कि प्रयोग विज्ञान के हैं, लेकिन आप सपने आसमान के देख सकते हैं.पढ़ाई-लिखाई से ही गांव, समाज और देश बेहतर बनता है. बच्चे ये स्वीकार करने लगे हैं. आज कैसा भी हो, भविष्य अच्छा होगा. इनमें से कोई न कोई तो आगे बढ़ेगा, अच्छा नागरिक बनेगा, बेहतर करेगा.
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