क्राइम रिपोर्टर, सचिन सिंह चौहान
आगरा: मामला 18/12/ 2018 में दोपहर एक बजे स्कूल से साइकिल पर घर जा रही दसवीं कि छात्रा संजलि को लालऊ के पास पेट्रोल डालकर जिन्दा जला दिया गया था। संजलि अशर्फी देवी छिद्धि सिंह इंटर कॉलेज कि छात्रा थी। आरोप था कि आरोपित योगेश छात्रा पर मित्रता का दवाब बना रहा था। संजलि के मना करने पर उसने बदला लेने के लिए साजिश रची। स्कूल से घर लौट रही संजलि पर योगेश उसके साथी विजय और आकाश के साथ पेट्रोल डालकर जिन्दा जला दिया था। इलाज के दौरान उसने 20/12/2018 को दिल्ली के सफ़दगंज अस्पताल में दम तोड़ा था। दिल दहलाने वाली सनसनीखेज वरदात के चलते देशभर में प्रदर्शन हुए थे। इस मामले में दो हजार पन्नों कि चार्जशीट में पुलिस ने 108 लोगो को गवाह बनाया था। साथ ही मौत से पूर्व संजलि के बयान को भी चार्जशीट में शामिल किया गया।
अप्रैल 2019 में आरोपियों पर आरोप तय हुए। संजलि के ताऊ मुक़दमे में वादी सौदान सिंह, मृतका के पिता हरेंद्र सिंह, माँ अनीता, बहन, बस चालक मुकेश विवेचक समेत 26 लोगो कि गवाही हुई। मामले में दोनों आरोपित जमानत पर बाहर थे। मंगलवार को न्यायलय ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर सजा सुनाई।
इस मामले में छह साल तीन महीने बाद मंगलवार को फैसला आया। न्यायलय ने आरोपी विजय और आकाश को दोषी पाया। अपर जिला जज नितिन कुमार ठाकुर ने आरोपी को आजीवन कारावास एवं पांच लाख 23 हजार रूपये के जुर्माने कि सजा सुनाई। वही मुख्य आरोपित योगेश ने 19/12/2018 आत्महत्या कर ली थी। साजिश में शामिल उसके साथियों आकाश एवं विजय को पुलिस ने जेल भेजा था।
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Toggleडिजिटल साक्ष्य ने निभाई अहम भूमिका, आरोपियों को सजा दिलाने में
एडीजीसी सत्यप्रकाश धाकड़ ने बताया कि सनसनीखेज मामले में डिजिटल साक्ष्य ने आरोपियों कि सजा दिलाने में अहम रहा। इसमें मृतक योगेश, आरोपी आकाश एवं विजय तीनो के मोबाइल कि कॉल डिटेल, सीडीआर, लैपटॉप समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्रस्तुत किए। विधि विज्ञान प्रयोगशाला से भी जांच रिपोर्ट आई थी। वह साक्ष्य अहम रहे। मामले में अभियोजन कि ओर से मृतका के ताऊ/ वादी सौदान सिंह, मृतका के पिता हरेंद्र सिंह, माँ अनीता, बहन, स्प्रिंगडेल पब्लिक स्कूल बस चालक मुकेश, इंस्पेक्टर विजय कुमार, विवेचक /क्षेत्राधिकारी नम्रता श्रीवास्तव, डॉक्टर, पुलिस कर्मी के अलावा सफ़दरगंज हॉस्पिटल दिल्ली डॉ. नूपुर इंस्टीटयूट के डायरेक्टर सौरभ गर्ग, विष्णु समेत 26 कि गवाही हुई।
न्यायलय के फैसले का पता चलते ही संजलि कि माँ के निकले आँखों से आंसू
न्यायलय के फैसले का पता चलते ही संजलि कि माँ अनीता के आँखों से आंसू निकाल आये। रुंधे हुए गले से बोली मेरी बेटी संजलि को जिन्दा जला दिया गया। उसकी तड़प-तड़प कर जान गई। ऐसा किसी ओर बेटी के साथ नहीं होना चाहिए। मुझे फांसी की सजा की उम्मीद थी। दोषियों को फांसी ही होनी चाहिए। कोर्ट ने जो फैसला सुनाया, उसकी खुशी है। दर्द है, तो सिर्फ सरकारी अमले से लेकर जनप्रतिनिधियों के आश्वासनों का जों छह साल बाद भी अधूरे है।
