Post by – डॉ वैभव अवस्थी, ज्योतिष परामर्शदाता
Astrology – गंड मूल नक्षत्र अश्वनी मघा अश्लेषा मूल जेष्ठा एवं रेवती हैं। अगर इन नक्षत्रों में बच्चे का जन्म होता है तो यह कहा जाता है कि बच्चे का जन्म गंड मूल नक्षत्र में हुआ है। इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चे का स्वभाव उग्र और तीक्ष्ण होता है। इन नक्षत्रों का प्रभाव विशेषता बच्चे की सेहत और स्वभाव पर पड़ता है। इसका प्रभाव 8 वर्ष तक रहता है। 8 वर्ष तक माता पिता को ओम नमः शिवाय का जाप करना चाहिए यह बच्चे के स्वास्थ्य एवं स्वभाव के लिए विशेष फलदाई होता है। बच्चे की माता को बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य के लिए पूर्णिमा का व्रत रखना चाहिए।
गंड मूल नक्षत्र में जन्म लेने पर भी अगर लड़के का जन्म रात में और लड़की का जन्म दिन में हो तो मूल नक्षत्र का प्रभाव समाप्त माना जाता है। अगर बच्चे का जन्म व्रष सिंह वृश्चिक और कुंभ लग्न में हो तो अशुभ फल प्राप्त नहीं होते हैं। बच्चे का जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में, रेवती नक्षत्र के चौथे चरण में, अश्लेषा के चौथे चरण में, मघा एवं मूल नक्षत्र के पहले चरण में, ज्येष्ठा के चौथे चरण में हुआ है तो ये नक्षत्र हानिकारक होते हैं। बच्चे का जन्म अगर मंगलवार और शनिवार को हो तो इसके अशुभ प्रभाव और बढ़ जाते हैं। गंड मूल नक्षत्र में लेने वाला बच्चा उग्र और तीक्ष्ण स्वभाव का होता है। गंड मूल नक्षत्र का प्रभाव बच्चे के सेहत और स्वभाव पर पड़ता है। गंड मूल नक्षत्र के प्रत्येक चरण का अलग-अलग प्रभाव होता है
यह शुभ एवं अशुभ दोनों प्रकार का होता है।
गंड मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चे का नामकरण 27 दिन बाद नक्षत्र की शांति के बाद ही करना चाहिए। नक्षत्र की शांति के लिए विशेष प्रकार की पूजा पाठ का विधान है। गंड मूल नक्षत्र की शांति का विधान 27 दिन अथवा 27 माह अथवा 27 वर्ष मैं करने का विधान है। अगर किसी की मूल शांति 27 दिन में नहीं हो रही है तो फिर वह 27 माह बाद होगी। 27 माह में भी नहीं हुई है शांति तो 27 वर्ष मैं होगी। गंड मूल नक्षत्र की शांति ना होने पर विभिन्न प्रकार के कष्टों को संतान एवं उसके परिजनों को सहना पड़ता है अतः शांति निश्चित रूप से कराई जानी चाहिए।