भाई साहब, बड़ौत के जनता वैदिक कॉलेज में इन दिनों संविधान की गूंज है, और स्वाभिमान की बात चल रही है। वजह? भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती और एक जबरदस्त कार्यक्रम जिसका नाम है — “हमारा स्वाभिमान, हमारा संविधान”।
अब कार्यक्रम कोई छोटा-मोटा नहीं था, पूरे 15 दिन की सीरीज़ चलेगी — 14 अप्रैल से लेकर 28 अप्रैल 2025 तक। और भाई, ऐसा इतिहास रचा जा रहा है कि सुनोगे तो खुद भी कहोगे — “जय भीम!”
शुरुआत हुई जोरदार ऑनलाइन संगोष्ठी से, जहां ऑनलाइन मंच पर बोलते नज़र आए ढेर सारे विद्वान और जागरूक चेहरे। मंच पर मुख्य मेहमान थे — डॉ. प्रमोद कुमार मौर्य, जो अमर सिंह कॉलेज लखावटी, बुलंदशहर से आए थे और उन्होंने युवाओं से एकदम सीधे दिल से बात की। बोले — “शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो” सिर्फ नारा नहीं है, ये आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
और क्या कहा जाए, बाबा साहेब के विचारों को इतनी शिद्दत से रखा कि सुनने वालों की रगों में संविधान दौड़ने लगा। साथ ही मंच पर मौजूद डॉ. गीता रानी ने भी समाज में सांस्कृतिक समरसता और संविधान की चेतना पर जबरदस्त बातें रखीं।
कार्यक्रम अधिकारी मंडली — डॉ. इन्दु, डॉ. मुकेश कुमार, डॉ. श्वेता अग्रवाल और श्री अमित नागर — इन्होंने भी संविधान में छुपे मूल अधिकारों और कर्तव्यों की बात छेड़ी। बोले, “अधिकार मांगने से पहले अपने कर्तव्यों को समझो।”
और भाई, अब बात आती है छात्रों की, जो दिल जीत ले गए। साजिया चौधरी, काजल मोगा जैसी छात्राओं ने ऐसे ज़बरदस्त भाषण दिए कि सुनकर लोग बोले — “ये तो सच में नए भारत की आवाज़ हैं!”
एनएसएस के स्वयंसेवकों ने भी कमाल कर दिया — जोश, जूनून और जागरूकता से भरे हुए। और हां, यह सिर्फ कोई रस्म अदायगी नहीं थी, बल्कि संविधान को समझने, उसे अपनाने और उसपर गर्व करने का एक आंदोलन बन गया।
“ये आयोजन था इतिहास से मिलने का, संविधान से जुड़ने का और बाबा साहेब के सपनों को ज़िंदा रखने का।”
तो भाई, अगली बार कोई पूछे संविधान क्या है, तो बड़ौत के जनता वैदिक कॉलेज के बच्चे बता देंगे — सिर्फ किताब नहीं, हमारी पहचान है।
जय संविधान, जय स्वाभिमान, जय भीम!
