बागपत दिनांक 24 मई 2025 — जब पूरी दुनिया तकनीक और प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आगे बढ़ रही है, तब भारत का एक युवा शांतिपूर्वक कहता है – “अब समय है करुणा से नेतृत्व करने का।” ये आवाज़ है बागपत, उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव ट्योढ़ी से निकले अमन कुमार की, जिनका चयन नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा शुरू किए गए वैश्विक कार्यक्रम सत्यार्थी समर स्कूल 2025 के लिए हुआ है। दुनिया के 22 देशों से 1200 से अधिक युवाओं में से केवल 25 को इस अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण और नेतृत्व कार्यक्रम में चुना गया, और उनमें से भारत से चयनित युवा हैं अमन। अमन को यह गौरव प्राप्त हुआ है कि वे भारत की सदियों पुरानी करुणा की परंपरा और वसुधैव कुटुंबकम् के विचार को विश्व के सामने प्रस्तुत करेंगे।
अमन कहते हैं, “जब तकनीक और लाभ का बोलबाला है, तब करुणा और शांति जैसे मूल्यों को बढ़ावा देना ही आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। मैं एक ग्रामीण पृष्ठभूमि से आता हूँ, और मुझे गर्व है कि मैं भारत की सदियों पुरानी मानवतावादी संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय युवाओं के समक्ष प्रस्तुत कर सकूंगा।” उनकी यह भावना उसी आत्मनिर्भर भारत की आत्मा से जुड़ी है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कहते हैं – “लोकल से ग्लोबल”। ग्रामीण भारत से आने वाले अमन वर्तमान में इग्नू से समाज कार्य में स्नातक कर रहे हैं और माय भारत स्वयंसेवक है। उन्होंने उड़ान यूथ क्लब की स्थापना की। वह यूनेस्को, यूनिसेफ और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनेक कार्यक्रमों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
‘सत्यार्थी समर स्कूल 2025’ के तहत दिल्ली और राजस्थान में गहन आवासीय प्रशिक्षण होगा, जिसमें करुणा आधारित नेतृत्व, बच्चों के अधिकार, शांति और न्याय जैसे विषयों पर अमन प्रशिक्षण लेंगे और वैश्विक युवा नेताओं से संवाद करेंगे। इसके उपरांत उन्हें ‘ग्लोबल कम्पैशन एम्बेसडर’ की मानद उपाधि प्रदान की जाएगी।
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Toggleप्रधानमंत्री के बुलावे पर लाल किले तक पहुँचे अमन
अमन को वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष आमंत्रण पर 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में आमंत्रित किया गया था। यही नहीं, उन्हें उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्वामी विवेकानंद युवा पुरस्कार, यूनिसेफ इंडिया द्वारा इंडियाज मोस्ट वैल्यूबल यू-रिपोर्टर अवॉर्ड, और हंड्रेड फिनलैंड के ग्लोबल एजुकेशन इनोवेशन बोर्ड में भारत का प्रतिनिधित्व करने जैसे अनेक अवसर प्राप्त हुए। उनके शब्दों में, “भारत ने हमेशा दुनिया को जोड़ा है। मैं उसी भारत का सिपाही हूँ जो सेवा, करुणा और संवेदना के रास्ते दुनिया का मार्गदर्शन करता है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर कहते हैं कि भारत की सबसे बड़ी शक्ति उसकी सभ्यता और संस्कार हैं। अमन कुमार जैसे युवा इस विचार को कर्म से सिद्ध कर रहे हैं। आज जब दुनिया में संवेदना की जगह संघर्ष, और सहयोग की जगह प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है – भारत अपने युवा नेतृत्व के माध्यम से एक बार फिर धर्म, करुणा और समरसता का मार्ग दिखा रहा है। वहीं इस कार्यक्रम हेतु चयनित होने के साथ ही अमन ने राज्य युवा पुरस्कार में मिली पचास हजार की धनराशि के एक अंश को दयालुता और शांति को बढ़ावा देने हेतु उपयोग करने की भी घोषणा की है। अमन कुमार जैसे युवा भारत की उस आत्मा को पुनः जीवंत कर रहे हैं जिसे कभी स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व को सुनाया था। अब वही विचार 2025 में दिल्ली से दुनिया तक जाएगा।
