Astrology: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली से उसके वर्तमान भूत एवं भविष्य के बारे में जाना जा सकता है। वर्तमान समय में प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं कि बच्चे को किस विषय से शिक्षा दिलवाई जाए जिससे वह आगे चलकर भविष्य में अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सके और अच्छी आय प्राप्त कर सके।
कुंडली का नवम भाव शिक्षा के भाव के रूप में जाना जाता है। इसे धर्म त्रिकोण भाव भी कहते हैं और यह उच्च शिक्षा को भी दर्शाता है। कुंडली का पांचवा भाव शिक्षा के संकाय को तय करता है। कुंडली का चौथा भाव मन का भाव है यह शिक्षा के प्रति मानसिक योग्यता को दर्शाता है।
यदि किसी की कुंडली में नवम भाव का संबंध पांचवे भाव से हो जाए तो उसकी शिक्षा अच्छी होती है।
यदि किसी की कुंडली में चौथे भाव का स्वामी 6,8,12 भाव में हो या नीच राशि में हो या शत्रु राशि में हो या अस्त राशि में बैठा हो एवं चंद्रमा पीड़ित हो तो शिक्षा में उसका मन नहीं लगता है।
शिक्षा का उपयोग:-
कुंडली का दूसरा भाव वाणी एवं धन संचय को दर्शाता है तथा साथ में यह भी बताता है कि जो शिक्षा आपने ग्रहण की है वह आपके लिए उपयोगी है या नहीं। यदि इस भाव पर पाप ग्रह का प्रभाव हो तो व्यक्ति शिक्षा का उपयोग नहीं कर पाता है।
ग्रहों एवं विषयों का आपस में संबंध:-
1 गणित एवं कॉमर्स विषय के लिए बुध ग्रह जिम्मेदार है यदि बुध ग्रह मजबूत है तो गणित एवं कॉमर्स का ज्ञान अच्छा होगा।
2 अंग्रेजी विषय के लिए शनि ग्रह जिम्मेदार है यदि शनि ग्रह मजबूत है तो अंग्रेजी का ज्ञान अच्छा होगा।
3 विज्ञान विषय के लिए सूर्य ग्रह जिम्मेदार है यदि सूर्य ग्रह मजबूत है तो विज्ञान विषय का ज्ञान अच्छा होगा।
4 कला वर्ग के लिए शुक्र ग्रह जिम्मेदार है यदि शुक्र ग्रह मजबूत है तो कला वर्ग में विशेष रुचि होगी।
5 कंप्यूटर के लिए राहु एवं केतु ग्रह जिम्मेदार हैं यदि राहु केतु की स्थिति अच्छी है तो कंप्यूटर का ज्ञान अच्छा होगा।
कुंडली विश्लेषण एवं अधिक जानकारी के लिए ज्योतिष परामर्शदाता डॉ वैभव अवस्थी से निम्न नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।संपर्क नंबर 97208 22736