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हरित क्रांति 2.0: बड़ौत से उठी ‘हरित प्राण ट्रस्ट’ की बेमिसाल मिसाल

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By सुरेंद्र मलनिया, बड़ौत से रिपोर्टिंग

बात बड़ौत की है जनाब, जहाँ एक ट्रस्ट ने ठान ली है कि पेड़ लगाए बिना चैन की साँस नहीं लेनी है। नाम है – हरित प्राण ट्रस्ट। काम ऐसा कि देखने-सुनने वालों को लगे कि “भाई, अब असली हरित क्रांति यही है!”

“साँसें हो रही कम, आओ पेड़ लगाएँ हम”

ये सिर्फ नारा नहीं, बड़ौत की सड़कों से लेकर खेत-खलिहानों तक गूंज रही चेतावनी है। और इस क्रांति के जनक हैं – डॉ दिनेश बंसल


डॉक्टर साहब और उनकी हरियाली वाली ओपीडी

अब डॉक्टर हैं तो दिन-रात मरीजों की सेवा में जुटे रहते हैं। लेकिन जनाब, ये डॉक्टर साहब सिर्फ इंसानों की ही नहीं, पेड़ों की भी जान बचाते हैं। कैसे? जब कोई मरीज ठीक होता है, तो डॉक्टर साहब डिस्चार्ज पेपर के साथ उसे एक पेड़ का पौधा गिफ्ट करते हैं। यानी बीमारी से उबरने की खुशी, एक नए जीवन को देने से मनाते हैं। ऐसा गिफ्ट, जो हर मौसम में ऑक्सीजन दे।


पेड़-पौधों की भी होती है इमरजेंसी? तो मिलिए ‘ग्रीन एम्बुलेंस’ से

जी हाँ! अगर किसी पेड़ की टहनी टूट जाए, कीड़े लग जाएँ या कोई उसे कटने की धमकी दे दे, तो हरित प्राण ट्रस्ट की ग्रीन एम्बुलेंस मौके पर हाजिर हो जाती है।
फ्री में इलाज, फ्री में सलाह, और हां, फ्री में हरियाली का प्यार।

डॉक्टर साहब मानते हैं कि –
“पेड़ भी हमारे जैसे जीवित हैं, फर्क बस इतना है कि वे चुप रहते हैं।”


डॉ नीलम बंसल – मिशन ग्रीन की रियल क्वीन

जहाँ एक डॉक्टर पेड़ों का इलाज कर रहे हैं, वहीं उनकी पत्नी डॉ नीलम बंसल, इस अभियान की कमान बराबरी से संभाल रही हैं। MD और DM जैसी भारी डिग्रियों के साथ-साथ उनके पास है प्रकृति से बेपनाह मोहब्बत। उनका साफ-साफ कहना है: “अगर पर्यावरण ठीक नहीं रहेगा, तो दवाइयाँ भी ज्यादा दिन काम नहीं करेंगी।” वे न सिर्फ अस्पताल में मरीजों को प्रकृति से जोड़ने की कोशिश करती हैं, बल्कि हरियाली को भी एक तरह की थैरेपी मानती हैं।


1.2 लाख पेड़ – वो भी कुछ ही महीनों में!

जब लोग एक पौधा लगाकर साल भर तक फोटो खिंचवाते हैं, तब हरित प्राण ट्रस्ट ने 1 लाख 20 हजार पेड़ लगाकर दिखा दिया है कि अगर इरादा नेक हो, तो ग्रीन रिवॉल्यूशन कोई किताब की बात नहीं रह जाती।


हरित प्राण का सीधा-सपाट फंडा:

एक पेड़ = एक जीवन

मतलब, अगर आपने एक पेड़ लगाया, उसकी देखभाल की, तो आपने किसी की जान बचाई। और हाँ, ये “किसी” आप खुद भी हो सकते हैं।


अंत में…

जब धरती जल रही हो, जब हवा जहरीली हो, जब सांसें उधार की लगने लगें, तब एक छोटा-सा ट्रस्ट बड़ौत से उठता है और कहता है — “हम पेड़ लगाएंगे, हम जीवन बचाएंगे।”

तो अगली बार जब आप अस्पताल जाएँ, पौधा जरूर माँगिए। और पेड़ कटते देखें, तो हरित प्राण की ग्रीन एम्बुलेंस को कॉल मारिए।

क्योंकि — “पेड़ लगाना फैशन नहीं, अब तो ये जिंदगी की जरूरत है।”

Janta Now की तरफ से सलाम है डॉ दिनेश बंसल, डॉ नीलम बंसल और हरित प्राण ट्रस्ट को, जो साँसों की इस लड़ाई में सबसे आगे खड़े हैं।

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Author: Baghpat

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