बागपत, 6 मई 2025 — जनपद बागपत में आपदा प्रबंधन की तैयारी और समन्वय की स्थिति को परखने के उद्देश्य से 7 मई 2025 को शाम 7:15 बजे से 7:30 बजे तक ब्लैकआउट मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। इस अभ्यास की तैयारियों की समीक्षा हेतु आज कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी अस्मिता लाल एवं पुलिस अधीक्षक सूरज कुमार राय द्वारा संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की गई। बैठक में ड्रिल की कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया गया और सभी अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। यह मॉक ड्रिल विकास भवन से प्रारंभ की जाएगी, जिसके साथ ही शाम 7:15 बजे जनपद के समस्त ग्राम पंचायतों, नगर निकायों, प्रमुख चौराहों, मंदिरों और मस्जिदों से सायरन और लाउडस्पीकर के माध्यम से एलान किया जाएगा कि ड्रिल प्रारंभ हो गई है। इस सायरन के साथ ही ब्लैकआउट लागू हो जाएगा, जो कि एक सिमुलेटेड हवाई हमले से बचाव की स्थिति को दर्शाएगा।
सायरन का उद्देश्य नागरिकों को सतर्क करना है कि वे तत्काल सभी प्रकार के विद्युत स्रोत—जैसे घर की लाइट, इनवर्टर, जनरेटर, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद कर दें, जिससे कि पूर्ण अंधकार सुनिश्चित हो सके और शत्रु के हवाई हमले की स्थिति में पहचान न की जा सके। इस दौरान आमजन को सड़क पर चलते समय अपने वाहन को तुरंत किनारे लगाकर बंद कर देना चाहिए तथा घर में रहते हुए सभी प्रकार की रोशनी बंद रखनी चाहिए। ब्लैकआउट मॉक ड्रिल का उद्देश्य जनपद में आपदा प्रबंधन के विभिन्न घटकों के बीच समन्वय की समीक्षा करना है।
यह ड्रिल एक नियोजित आपातकालीन अभ्यास है जिसमें सभी विभागों, जनपद स्तरीय अधिकारियों, ब्लॉक एवं नगर स्तर के अधिकारीगण, आपदा प्रबंधन इकाइयाँ, नेहरू युवा केंद्र, उड़ान यूथ क्लब, माय भारत, एनसीसी, पुलिस विभाग, एयरफोर्स एवं अन्य एजेंसियाँ सक्रिय रूप से सम्मिलित होंगी। इस अभ्यास के दौरान तीन प्रकार के एयर रेड सायरनों का प्रयोग किया जाएगा जिसमें प्रथम सायरन — तीन मिनट तक चलेगा जिसमें आवाज़ ऊँची और नीची होती रहेगी, जिससे नागरिकों को सचेत होकर सुरक्षित स्थान पर जाने का संकेत मिलेगा। द्वितीय सायरन — लगातार बजेगा, जो संकेत देगा कि खतरा टल गया है और स्थिति सामान्य हो रही है। तृतीय सायरन — इसका उपयोग तब किया जाएगा जब खतरे का स्तर अत्यधिक बढ़ जाए और दुश्मन नज़दीक पहुंच चुका हो। यह सायरन चेतावनी का सर्वोच्च स्तर दर्शाएगा। प्र
शासन द्वारा दो कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं—मुख्य कंट्रोल रूम कलेक्ट्रेट में तथा द्वितीय कंट्रोल रूम पुलिस लाइन में। इसके अतिरिक्त, खोज एवं बचाव अभियान का संचालन विकास भवन में किया जाएगा, जहाँ से रेस्क्यू किए गए लोगों को प्राथमिक उपचार के लिए जिला अस्पताल भेजा जाएगा। जनसामान्य से अपील की जाती है कि इस मॉक ड्रिल के दौरान पूर्ण सहयोग प्रदान करें और किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें। यह अभ्यास केवल सुरक्षा एवं आपदा से निपटने की तैयारियों की जांच हेतु किया जा रहा है, ना कि किसी वास्तविक संकट की स्थिति में। अधिक जानकारी के लिए जिला प्रशासन के कंट्रोल रूम से संपर्क किया जा सकता है। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी पंकज वर्मा, मुख्य विकास अधिकारी नीरज कुमार श्रीवास्तव, अपर पुलिस अधीक्षक एन पी सिंह, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपा सिंह, अधिशासी अधिकारी के. के. भड़ाना, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गीता चौधरी, तथा अन्य संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।
ब्लैकआउट मॉक ड्रिल क्या होती है और इसका उद्देश्य क्या है? ब्लैकआउट मॉक ड्रिल एक ऐसा अभ्यास होता है जिसका उद्देश्य नागरिकों और प्रशासन दोनों की आपातकालीन परिस्थितियों, विशेष रूप से हवाई हमलों जैसी स्थितियों के लिए तैयारियों को परखना और सुधारना होता है। इस ड्रिल के दौरान बिजली की आपूर्ति को कुछ समय के लिए रोका जाता है ताकि वास्तविक हमले की स्थिति में नागरिकों को किस प्रकार से प्रतिक्रिया देनी है, इसका अभ्यास किया जा सके। यह अभ्यास यह सुनिश्चित करता है कि संपूर्ण जनपद के लोग, प्रशासनिक इकाइयाँ, आपदा प्रबंधन टीम, पुलिस, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य विभाग मिलकर त्वरित, सुरक्षित और समन्वित कार्य कर सकें।
