- सीख जो आत्मविश्वास जगाए: बागपत में दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष एक्सपोजर विजिट का आयोजन
- समग्र शिक्षा के तहत जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया एक्सपोज़र विज़िट भ्रमण
बागपत, 17 दिसंबर 2025 — जब बच्चों को सीखने का अवसर मिलता है—देखकर, समझकर और महसूस करके—तो शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि आत्मविश्वास, जिज्ञासा और सपनों का आधार बन जाती है। बागपत में आज ऐसा ही एक प्रेरणादायी दृश्य देखने को मिला, जब समग्र शिक्षा अभियान समेकित शिक्षा के अंतर्गत दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए आयोजित विशेष एक्सपोज़र विज़िट को जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने कलेक्ट्रेट कैंप कार्यालय से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस अवसर पर जनपद के विभिन्न विद्यालयों से आए दिव्यांग विद्यार्थी उत्साह और उमंग से भरे नजर आए। बच्चों के चेहरों पर मुस्कान और आँखों में चमक यह बता रही थी कि वे एक नई सीख और नए अनुभव की ओर बढ़ रहे हैं। यह काफिला बड़ागांव स्थित ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर त्रिलोकनाथ जैन मंदिर तक पहुंचा जहाँ बच्चों को अपने ही जनपद की सांस्कृतिक विरासत को करीब से देखने और समझने का अवसर मिला।
जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने बच्चों से आत्मीय संवाद करते हुए कहा कि हर बच्चा विशेष है और हर बच्चे में असीम संभावनाएँ होती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अनुभवात्मक कार्यक्रम बच्चों को अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना सिखाते हैं और यह एहसास दिलाते हैं कि वे समाज के सक्रिय और सम्मानित हिस्सेदार हैं। उनका मानना है कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य बच्चों को आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और संवेदनशील नागरिक बनाना है। हमारे जनपद के सभी दिव्यांग एवं विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए प्रशासन सदैव साथ है।
समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत यह पहल दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से सार्थक है। अक्सर ये बच्चे सीमित अवसरों के कारण बाहरी दुनिया से कम जुड़ पाते हैं, लेकिन इस तरह के भ्रमण उन्हें समाज, संस्कृति और सार्वजनिक स्थलों से जोड़ते हैं। यह अनुभव बच्चों के भीतर जिज्ञासा, आत्मगौरव और सीखने की नई ऊर्जा का संचार करता है।
बड़ागांव स्थित त्रिलोकनाथ जैन मंदिर पहुँचकर बच्चों ने मंदिर की भव्यता, स्थापत्य कला और सांस्कृतिक महत्व को नजदीक से देखा। शिक्षकों और मार्गदर्शकों ने सरल और सहज भाषा में बच्चों को जैन मंदिर के इतिहास, मूल्यों और परंपराओं से परिचित कराया। बच्चों ने प्रश्न पूछे, आसपास के वातावरण को ध्यान से देखा और पूरे उत्साह के साथ इस अनुभव का आनंद लिया।
इस भ्रमण के दौरान दिव्यांग विद्यार्थियों की सुविधा और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया। सुगम परिवहन, सहयोगी स्टाफ, शिक्षकों की सतत उपस्थिति और संवेदनशील मार्गदर्शन यह सुनिश्चित कर रहा था कि हर बच्चा सहज, सुरक्षित और आत्मविश्वास से भरा महसूस करे। बच्चों की भागीदारी और प्रसन्नता इस बात का प्रमाण थी कि यह यात्रा उनके लिए एक सकारात्मक और सशक्त अनुभव बनी।
यह पहल जिलाधिकारी अस्मिता लाल की उस मानवीय और दूरदर्शी सोच को दर्शाती है जिसमें प्रशासन योजनाओं के साथ-साथ करुणा और संवेदना को भी प्राथमिकता देता है। दिव्यांग बच्चों के लिए अवसरों के द्वार खोलना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना उनकी प्रशासनिक प्राथमिकताओं का अहम हिस्सा है। यही कारण है कि बागपत में शिक्षा को मानवीय विकास से जोड़ा जा रहा है।
वहीं दिव्यांग बच्चों के लिए प्रशासन द्वारा संचालित कई मुहिम इन्हें आगे बढ़ने का संबल दे रही है जिसमें जिला अस्पताल में महीने के तीसरे सोमवार को विशेष मानसिक स्वास्थ्य जांच कैंप, जिला स्तरीय सुगम संकल्प प्रदर्शनी से इनके हुनर को पहचान देने जैसे कई कार्यक्रम शामिल है।
इस प्रकार के एक्सपोज़र विज़िट बच्चों के व्यक्तित्व विकास में मील का पत्थर साबित होते हैं। इससे बच्चों में आत्म-अभिव्यक्ति, सामाजिक व्यवहार और आत्मनिर्भरता जैसे जीवन कौशल विकसित होते हैं। दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए यह अनुभव उन्हें यह विश्वास दिलाता है कि वे भी समाज में बराबरी के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 की उस भावना के अनुरूप है, जिसमें समावेशी, अनुभवात्मक और स्थानीय संदर्भों से जुड़ी शिक्षा पर बल दिया गया है। अपने जनपद की पहचान और विरासत से जुड़कर बच्चे न केवल बेहतर सीखते हैं, बल्कि अपने परिवेश के प्रति गर्व और जिम्मेदारी भी महसूस करते हैं।
कार्यक्रम के अंत में बच्चों ने अपने अनुभव साझा करते हुए खुशी जाहिर की। कई विद्यार्थियों के लिए यह पहली बार था जब उन्होंने किसी ऐतिहासिक स्थल को इतनी नज़दीक से देखा। उनके चेहरों पर संतोष और आत्मविश्वास यह दर्शा रहा था कि यह यात्रा उनके लिए सीख और प्रेरणा की अमूल्य सौगात साबित हुई।
इस अवसर पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गीता चौधरी, समेकित शिक्षा समन्वयक प्रदीप कुमार सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।




