सोचो जरा कि मई की तपती दोपहर है। एक छोटा बच्चा स्कूल से निकला, उसके गले में प्यास है। बोतल लाना भूल गया। तभी स्कूल के कोने में एक मिट्टी का घड़ा रखा दिखा। ढक्कन खोला, पानी लिया… घड़ा ठंडा, पानी मीठा, और चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान।
अब ये सिर्फ कोई फील गुड कहानी नहीं है, बल्कि यही है सुंदरम तिवारी की “Clay Pot Distribution Campaign 2025” का असली मकसद।
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Toggleअभियान की जड़ें – धरती से जुड़े संस्कार
पर्यावरण कार्यकर्ता और समाजसेवी सुंदरम तिवारी ने अपनी संस्था “Nature Green Future Trust” के बैनर तले इस गर्मी एक संकल्प लिया है — “200 स्कूल और कॉलेजों में 1000+ मिट्टी के घड़े मुफ्त वितरित किए जाएंगे।”
जगह: प्रतापगढ़ और आस-पास के जनपद
वक्त: मई-जून 2025, जब गर्मी चरम पर होगी
उद्देश्य:
- बच्चों को स्वस्थ, ठंडा और प्राकृतिक पानी मुहैया कराना
- मिट्टी के बर्तनों की वापसी कराना – हमारी संस्कृति को पुनर्जीवित करना
- कुम्हार समुदाय को रोजगार और सम्मान देना
एक घड़ा – तीन क्रांति
1. स्वास्थ्य क्रांति:
बोतलबंद प्लास्टिक पानी को टाटा, मिट्टी के घड़े को वंदन।
मिट्टी का घड़ा न सिर्फ पानी को ठंडा रखता है, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार यह प्राकृतिक फिल्टर की तरह काम करता है।
2. संस्कृति क्रांति:
आज के बच्चे पूछते हैं – “घड़ा क्या होता है?”
इस अभियान से उन्हें घड़ा मिलेगा भी और सीख भी – अपनी जड़ों से जुड़ने की।
3. अर्थव्यवस्था और रोजगार क्रांति:
हर डोनेशन, हर घड़ा – किसी स्थानीय कुम्हार की आमदनी बनता है।
जिन हाथों की मिट्टी में कला थी, वही अब जीवन में फिर से रौशनी लाएंगे।
आप क्यों जुड़ें?
अब ये कोई सरकार प्रायोजित स्कीम नहीं है।
यह जनता की, जनता के लिए, जनता द्वारा चलाई जा रही पहल है।
इसलिए आपको भी आना होगा आगे, क्योंकि…
- गर्मी सबको लगती है – लेकिन राहत सबको नहीं मिलती।
- कुम्हारों की चाक तभी घूमेगी, जब हम उन्हें साथ देंगे।
- बच्चों को घड़े का ठंडा पानी मिलेगा – ये सबसे बड़ा पुरस्कार है।
आप कैसे मदद कर सकते हैं?
एक घड़े की अनुमानित लागत: ₹75–₹100
आप एक, दो या सौ – जितना हो सके उतना डोनेट कर सकते हैं।
भुगतान का स्क्रीनशॉट अपलोड करें और तुरंत डिजिटल सर्टिफिकेट पाइए:
https://forms.gle/LdGt7kc144JU7H6RA
डोनर को क्या मिलेगा?
- डिजिटल प्रमाण पत्र – आपकी सेवा का सार्वजनिक धन्यवाद
- सोशल मीडिया फीचर – ताकि आपकी नेकदिली लोगों तक पहुंचे
- सच्ची तसल्ली – आपने बच्चों को पानी और कुम्हार को काम दिया
क्या बोले सुंदरम तिवारी जी?
“हमारा सपना है कि हर स्कूल में घड़ा हो, हर बच्चे को ठंडा पानी मिले और हर कुम्हार के घर चूल्हा जले। इस गर्मी में, हम सिर्फ पानी नहीं बांट रहे – हम उम्मीदें बांट रहे हैं।”
अंत में… एक सवाल आपसे
क्या आप चाहते हैं कि अगली पीढ़ी सिर्फ बोतलबंद पानी को ही पानी माने? या घड़े की ठंडक को फिर से महसूस करे?
अगर दिल कहे – “हां, मैं चाहता हूं बदलाव”
तो आज ही इस मुहिम का हिस्सा बनिए।
आपका छोटा-सा योगदान,
बचपन में मुस्कुराहट,
और कुम्हार की जिंदगी में उजाला ला सकता है।
डोनेट करें, शेयर करें, और मिट्टी से रिश्ता फिर से मजबूत करें!
https://forms.gle/LdGt7kc144JU7H6RA
