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भविष्य एनजीओ ने नोएडा में करवाया धमाकेदार वर्कशॉप — सीख भी, सोच भी और संचार भी!

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भविष्य एनजीओ ने दिखाई राह — “व्यवहार बदलिए, बातों में असर लाइए!”

नोएडा के सेक्टर 71 स्थित शिक्षा केंद्र में 14 अप्रैल 2025 को कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। न कोई भाषणबाज़ी, न दिखावा, सिर्फ सच्चे मन से सीखी गई वो बातें जो जिंदगी बदलने की ताकत रखती हैं। मौका था भविष्य एनजीओ द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का, जिसका फोकस था — व्यवहार परिवर्तन, संचार कौशल और कार्यक्रम क्रियान्वयन

कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक मुकन्द वल्लभ शर्मा ने बड़ी ही सादगी और गंभीरता से प्रतिभागियों को समझाया कि आज के समय में बोलना नहीं, सही तरीके से संवाद करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि “सिर्फ पढ़ा-लिखा होना काफी नहीं, जब तक हम अपनी बात दूसरों तक सही ढंग से न पहुँचा पाएं, तब तक ज्ञान भी अधूरा है।” उन्होंने व्यवहार के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को छुआ, सामाजिक ज़िम्मेदारी की बात की और बताया कि जब कार्यक्रम का प्लानिंग और क्रियान्वयन ढंग से होता है, तभी उसका असर समाज पर दिखता है।

कार्यशाला का उद्देश्य सिर्फ कुछ घण्टों की क्लास नहीं था, बल्कि भविष्य एनजीओ के उन ग्राउंड लेवल कार्यकर्ताओं को संवारना था जो रोज़ समाज की ज़मीन पर खड़े होकर बदलाव की ईंट रखते हैं। संवाद, समझ और आत्ममंथन से भरे इस सत्र में प्रतिभागियों ने न केवल सीखा बल्कि भीतर झांकने का मौका भी पाया।

इस आयोजन की कमान संभाली थी भविष्य एनजीओ की मजबूत टीम ने। संयोजन में रहे अध्यक्ष विकास झा, उपाध्यक्ष राहुल पाण्डेय, और कार्यक्रम निदेशक विधूभूषण मिश्रा। कार्यशाला में एनजीओ के महासचिव दीपक यादव भी मौजूद रहे, जिनकी मौजूदगी ने कार्यक्रम को नई गरिमा दी। साथ में, शालू झा, हर्षप्रीत सिंह, आदित्य नारायण दुबे और पंकज प्रभु जैसे कर्मठ साथियों ने आयोजन को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

यह कार्यशाला केवल एक कार्यक्रम नहीं थी, यह भविष्य एनजीओ के विज़न की एक झलक थी — एक ऐसा भारत जहाँ गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ सकें, बुज़ुर्ग इज़्ज़त के साथ रह सकें और हर व्यक्ति खुद को समाज का जिम्मेदार नागरिक महसूस करे। संस्था का “शिक्षा रिक्शा प्रोग्राम” और नैनीताल के कालाढूंगी में संचालित ओल्ड ऐज सेंटर इसकी मिसाल हैं।

कार्यशाला की शुरुआत में विधूभूषण मिश्रा ने मुख्य प्रशिक्षक मुकन्द वल्लभ शर्मा का स्वागत किया और समापन पर शालू झा ने दिल से धन्यवाद ज्ञापित किया। पूरे दिन की यह यात्रा विचारों की थी, अनुभवों की थी और आत्मविकास की ओर एक मजबूत क़दम थी।भविष्य ने बताया, बदलाव भाषणों से नहीं, व्यवहार से आता है!

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Author: Baghpat

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