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एक दिवसीय कार्यशाला में नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों पर जागरूकता, युवाओं ने साझा किए अपने अनुभव

बड़ौत। गुरुवार को युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार के स्वायत्तशासी संगठन नेहरू युवा केन्द्र बागपत और मेरा युवा भारत के संयुक्त तत्वावधान में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर नशीली दवाओं की लत और मादक पदार्थों के दुष्प्रभावों पर आधारित एक दिवसीय विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ संस्थान के आचार्य डॉ. अजीत सिंह और जिला युवा अधिकारी अरुण तिवारी ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर जिलेभर से आए 50 युवाओं को नशे से बचाव और इसके खतरों पर जागरूक किया गया।

कार्यशाला के पहले सत्र में शिक्षाविद् डॉ. सत्यवीर सिंह ने मादक पदार्थों के दुरुपयोग के गंभीर परिणामों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि ये दवाएं दीर्घकालिक बीमारियों के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक जीवन पर भी बुरा असर डालती हैं। हमारे समाज में नशे की लत बढ़ रही है, जो एक चिंता का विषय है। लेकिन शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने नशा पीड़ितों के उपचार में चिकित्सा परामर्श, पुनर्वास केंद्रों और परिवार के समर्थन की आवश्यकता पर बल दिया।

जिला युवा अधिकारी अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि युवाओं की भूमिका देश की दिशा और दशा तय करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कार्यशाला में जीवन कौशल, नशा मुक्त समाज और सकारात्मक जीवनशैली जैसे विषयों पर जानकारी दी। प्रशिक्षण के अंत में युवाओं को संकल्प दिलाया गया कि वे अपने गांव और समाज में नशे से पीड़ित लोगों की मदद करेंगे और उन्हें पुनर्वास केंद्रों से जोड़ेंगे।

आचार्य अजीत सिंह ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आज के निर्णय हमारे भविष्य को निर्धारित करते हैं। युवाओं को अपने विचार और कर्मों को सही दिशा में ले जाने पर जोर देना चाहिए। जब युवा सजग होंगे तो वे मादक पदार्थों से दूर रहेंगे और जीवन में सफलता प्राप्त करेंगे। सीएचसी बागपत के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विभाष राजपूत ने युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य, तनाव, और डिप्रेशन से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मजबूत इच्छाशक्ति से हम मादक पदार्थों की लत से छुटकारा पा सकते हैं।

हार्टफुलनेस संस्थान के ट्रेनर परितोष मित्तल और डॉली कालरा ने ध्यान का अभ्यास कराया और बताया कि ध्यान हमें आंतरिक शांति को विकसित करने और बाहरी ऊर्जा को अवशोषित करने में मदद करता है। हर व्यक्ति कहीं न कहीं तनाव से जूझ रहा जिसके लिए हार्टफुलनेस रिलेक्सेशन और ध्यान का तरीका लाभप्रद हो सकता है। यूथ लीडर अमन कुमार ने “मेरा युवा भारत” प्लेटफार्म की जानकारी दी और विकसित भारत निर्माण के कार्यक्रमों पर चर्चा की। इस दौरान विशेष कैंप लगाकर युवाओं को “मेरा युवा भारत” वॉलंटियर के रूप में पंजीकृत किया गया। कार्यक्रम में शामिल हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम के आयोजन में नीतीश भारद्वाज, संयम सिंह, सुषमा त्यागी, गुलफ़्सा, अमीर खान, परम शर्मा और साहिल का योगदान रहा।

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कार्यशाला के दौरान युवाओं ने अपने अनुभव और फीडबैक साझा किए, जिनमें से कई महत्वपूर्ण बातें सामने आईं।

शादाब अली ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, “आज की कार्यशाला में नशे की लत, उसके नुकसान और नशा छुड़वाने के तरीकों के बारे में गहन जानकारी मिली। खासकर, युवाओं को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाने के उपाय समझाए गए। मुझे उम्मीद है कि इस कार्यशाला से सीखे हुए ज्ञान के साथ युवा समाज को नशे से मुक्त करने में योगदान देंगे।”

शिवानी ने कार्यशाला को लाभदायक बताते हुए कहा, “इस कार्यशाला में मादक पदार्थों के सेवन पर नियंत्रण और इनके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक प्रभावों के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला। मैं धन्यवाद देना चाहूंगी कि इतनी गंभीर समस्या पर समय रहते यह वर्कशॉप आयोजित की गई।”

नितिश भारद्वाज ने नशा मुक्ति केंद्रों और पुनर्वास केंद्रों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “कार्यशाला में नशे के विभिन्न प्रकारों जैसे धूम्रपान, शराब, ड्रग्स, और नशीली दवाओं के बारे में जानकारी दी गई। यह जानकर अच्छा लगा कि ऐसी कार्यशालाएं समाज में जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण साधन हैं, और मैं इसका प्रचार-प्रसार करूंगा।”

अमीर खान ने कार्यशाला से सीखी बातों को साझा करते हुए कहा, “नशा एक ऐसी बुराई है जो व्यक्ति और समाज दोनों के लिए घातक है। नशे की लत से प्रभावित युवाओं को इससे मुक्त करने के लिए हमें नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।”

गुलफ़्सा ने बताया, “आज की कार्यशाला में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और इनके दुष्प्रभावों पर नई जानकारी मिली। यह युवाओं के लिए बेहद चिंताजनक है कि वे तेजी से नशे की ओर बढ़ रहे हैं। हमें अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए इस समस्या से दूर रहकर दूसरों को भी जागरूक करना चाहिए।”

कार्यशाला में भाग लेने वाले युवाओं के इन अनुभवों से यह स्पष्ट है कि इस प्रकार की जागरूकता कार्यशालाएं न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामुदायिक स्तर पर भी नशे से मुक्ति की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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