Janta Now
Rishika Tomar
Educationदेशदेश - दुनिया

आईआईटी रूड़की की शोध छात्रा ऋषिका तोमर ने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, स्कॉटलैंड में EAPS सम्मेलन 2024 में पेश किया शोध पत्र

एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, स्कॉटलैंड में आयोजित EAPS (यूरोपियन एसोसिएशन फॉर पॉपुलेशन स्टडीज) सम्मेलन 2024 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की की शोध छात्रा ऋषिका तोमर सुपुत्री डा सविता तोमर रामबाग कॉलोनी बडौत ने अपने शोध पत्र को प्रस्तुत किया। उनका शोध पत्र भारतीय परिवारों में स्वास्थ्य देखभाल खर्चों में लिंग भेद पर आधारित था।

Rishika Tomar
Rishika Tomar

ऋषिका तोमर के इस शोध पत्र का शीर्षक “भारतीय घरों में स्वास्थ्य देखभाल खर्चों में लिंग भेद” था, जिसमें उन्होंने गहन विश्लेषण और आंकड़ों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि भारतीय महिलाओं में पुरुषों की तुलना में बीमारियों की आत्म-रिपोर्टिंग अधिक होती है, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने पर महिलाओं पर होने वाला खर्च पुरुषों की तुलना में बहुत कम होता है। यह महत्वपूर्ण अंतर समाज में व्याप्त विभिन्न कारकों और असमानताओं की ओर इशारा करता है।

ऋषिका के शोध में यह पाया गया कि इस अंतर के पीछे के प्रमुख कारणों में वृद्ध महिलाएं, घरों का विनाशकारी खर्चों का सामना करना और स्वास्थ्य बीमा की अनुपलब्धता शामिल हैं। उनके अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया कि कई परिवारों में महिलाओं की बीमारियों को गंभीरता से नहीं लिया जाता और उन्हें उचित चिकित्सा सहायता नहीं मिलती। वृद्ध महिलाओं के मामले में उन्हें अक्सर स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रखा जाता है और उनकी बीमारियों को सामान्य वृद्धावस्था का हिस्सा मान लिया जाता है।

शोध में यह भी बताया गया कि भारतीय परिवारों में स्वास्थ्य बीमा की कमी एक बड़ा कारण है, जिसकी वजह से चिकित्सा खर्चों का बोझ सीधे परिवारों पर पड़ता है। जब परिवारों को विनाशकारी खर्चों का सामना करना पड़ता है, तो वे अक्सर महिलाओं के स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चों में कटौती करते हैं, जिससे महिलाओं की सेहत और भी प्रभावित होती है। ऋषिका तोमर ने इस सम्मेलन में अपने शोध पत्र को प्रस्तुत करते हुए न केवल इस गंभीर समस्या को उजागर किया, बल्कि इसे दूर करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर इस दिशा में काम करना चाहिए ताकि महिलाओं को उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें और स्वास्थ्य बीमा की पहुंच को आम जन तक बढ़ाया जा सके।

इसके अलावा समाज में जागरूकता फैलाने की भी आवश्यकता है ताकि महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीरता से लिया जा सके। ऋषिका तोमर का यह शोध पत्र न केवल भारतीय समाज में स्वास्थ्य देखभाल में लिंग भेद को उजागर करता है, बल्कि इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की जरूरत को भी रेखांकित करता है। EAPS सम्मेलन 2024 में उनके इस योगदान की सराहना की गई और इसे भारतीय घरों में स्वास्थ्य देखभाल सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना गया।

Related posts

bharatiya jana sangh |धूमधाम के साथ मनाया गया जनसंघ का स्थापना दिवस

लायंस क्लब का मीडिया प्रभारी बनने पर बागपत के लोगों ने दी अनिल गुप्ता को बधाई

पाबला गांव में हुआ जय बाबा बस्ती वाले का भव्य जागरण और भण्ड़ारा

jantanow

सावधान: हेलमेट पहनने के बावजूद कटेगा 2000 रुपए का चालान

jantanow

बढ़ती जनसंख्या राष्ट्र के लिए घातक – मनुपाल बंसल

jantanow

Draupadi Murmu आज राष्ट्रपति पद के लिए भरेगी अपना नामांकन

jantanow

1 comment

Edison June 29, 2024 at 2:45 am

Its like you read my mind! You appear to know so much about this, like you wrote
the book in it or something. I think that you could do with a few
pics to drive the message home a little bit, but other than that, this is excellent blog.
A great read. I will certainly be back.

Feel free to visit my webpage; 토토사이트

Reply

Leave a Comment