Janta Now
सर्व पितृ अमावस्या एवं श्राद्ध विशेष:-डॉ वैभव अवस्थी ज्योतिष परामर्शदाता
Astrologyदेशधर्म

Pitru Paksha 2023 : पितरों को प्रसन्न करने के ये हैं खास उपाय जानिए , डॉ वैभव अवस्थी ज्योतिष परामर्शदाता

Pitru Paksha 2023 : हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। अमावस्या तिथि हर माह में आती है तथा यह तिथि पितरों को समर्पित होती है। पितृपक्ष के दौरान आने वाली अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या तिथि कहते हैं। सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर विशेष रूप से अपने पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है।

पितरों को प्रसन्न करने के उपाय | अमावस्या के दिन पितरों को कैसे खुश करें | pitru paksha 2023





जिन परिजनों ने भूलवस या किसी अन्य कारण वस पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों का श्राद्ध नहीं किया है अथवा उन्हें श्राद्ध की तिथि मालूम नहीं है। वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने पितरो का श्राद्ध एवं तर्पण कर सकते हैं। ज्योतिष परामर्श दाता डॉ वैभव अवस्थी के अनुसार हिंदू पंचांग में भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से अश्विन मास की अमावस्या तिथि तक का समय पितरों के लिए समर्पित है।




इन 15 दिनों के समय को पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है। जो लोग अब इस धरती पर जीवित नहीं है उनका श्राद्ध पिंडदान एवं तर्पण इस पितृपक्ष के दौरान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पित्रदेव स्वर्ग लोक से धरती पर अपने परिजनों से मिलने आते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष के आखिरी दिन को सर्वपितृ अमावस्या पितृ विसर्जन अमावस्या और महालया के नाम से भी जानते हैं।

16 श्राद्ध में क्या करना चाहिए | अमावस्या की रात को क्या करना चाहिए | pitru paksha 2023





इस दिन समस्त पितरों की श्राद्ध पिंडदान और पूजा करते हुए उनकी विदाई की जाती है। पद्म पुराण में वर्णित है कि श्राद्ध के द्वारा प्रसन्न हुए पितृगन मनुष्यों को पुत्र धन विद्या आयु आरोग्य लौकिक सुख मोक्ष तथा स्वर्ग आदि प्रदान करते हैं। मत्स्य पुराण के अनुसार साय काल में श्राद्ध नहीं करना चाहिए साय काल का समय राक्षसी बेल के नाम से प्रसिद्ध है जो सभी कार्यों में निंदित है। मनुस्मृति में कहा गया है की रात्रि में भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए। दोनों संध्याओं में तथा पूर्वाह्न काल में भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए।

Pitru Paksha 2023: श्राद्ध में ब्राह्मण भोज कराते समय इन नियमों का रखें ध्यान, वरना पितर हो जाएंगे नाराज



पदम पुराण के अनुसार श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मणों को निमंत्रित करना आवश्यक है जो बिना ब्राह्मण के श्राद्ध करता है उसके घर पितृ भोजन नहीं करते तथा श्राप देकर लौट जाते हैं। ब्राह्मण हीन श्राद्ध करने से मनुष्य महा पापी होता है श्राद्ध का भोजन स्त्री को नहीं कराना चाहिए। वराह पुराण के अनुसार श्राद्ध काल में आए हुए अतिथि का अवश्य सत्कार करना चाहिए। उस समय अतिथि का सत्कार न करने से वह श्राद्ध कर्म के संपूर्ण फल को नष्ट कर देता है।



महाभारत में आया है जिसके श्राद्ध के भोजन में मित्रों की प्रधानता रहती है उस श्राद्ध को पितर प्राप्त नहीं करते हैं। जो श्राद्ध में भोजन देकर उससे मित्रता का संबंध जोड़ता है अर्थात श्राद्ध को मित्रता का साधन बनाता है वह स्वर्ग लोक से भ्रष्ट हो जाता है। इसलिए श्राद्ध में मित्र को निमंत्रण नहीं देना चाहिए। मित्रों को संतुष्ट करने के लिए धन देना उचित है।


श्राद्ध का भोजन करना चाहिए या नहीं | pitru paksha 2023

श्राद्ध में भोजन तो उसे ही करना चाहिए जो शत्रु या मित्र न होकर मध्यस्थ हो। श्राद्ध कर्ता और श्राद्ध भोक्ता दोनों को श्राद्ध में भोजन करने के बाद पुनः भोजन करना मार्ग गमन करना सवारी पर चढ़ना परिश्रम का काम करना मैथुन करना स्वाध्याय करना कलह और दिन में शयन इन सब का उस दिन परित्याग कर देना चाहिए।



Related posts

किशनपुर बराल में स्थित है भगवान श्री कृष्ण का चमत्कारी धाम

jantanow

धूमधाम से मनाया जा रहा 40 दिनों तक चलने वाला ईस्टर का त्यौहार

jantanow

शिक्षा में नवाचार कर रहे लोगों एवं संगठनों को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान

Vedansh (Baghpat)

जैन तीर्थ जयशांतिसागर निकेतन मंड़ौला में निकाली गयी वार्षिक रथयात्रा

jantanow

विकसित भारत के लिए एकता महत्वपूर्ण, अंतर्राष्ट्रीय समुदायों से ले सीख

jantanow

1 comment

Marcus October 14, 2023 at 4:00 pm

What’s up, after reazding this remarkabke piece oof writing i am also delighted tto
share my expetience here ith colleagues.

Reply

Leave a Comment