रिपोर्ट – बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन
बागपत – देश के प्रसिद्ध श्रीमद्भागवत कथा वाचकों में शुमार संत श्री उद्धव स्वरूप ब्रहमचारी सनातन धर्म के प्रचार व प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे है। जनवरी 2022 में अनन्त विभूषित ज्योतिषपीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के आदेश से ज्योतिष पीठ के प्रभारी स्वामी श्री अभिमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज केदारघाट-काशी द्वारा संत उद्धव स्वरूप ब्रहमचारी को उनकी विलक्षण प्रतिभाओं को देखते हुए स्वामी कृष्ण बोध आश्रम, पक्का घाट, बागपत शहर के प्रभारी पद पर नियुक्त किया गया है। बताया जाता है कि संत उद्धव स्वरूप ब्रहमचारी ने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए मात्र 16 वर्ष की आयु में घर-परिवार का त्याग कर दिया था।
– सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए मात्र 16 वर्ष की आयु में त्याग दिया था घर-परिवार, उसके बाद शास्त्रों के गहन अध्ययन के साथ श्रीमद्भागवत महापुराण का अर्जित किया ज्ञान
– 39 वर्ष की आयु में अनन्त विभूषित ज्योतिषपीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज से ग्रहण किया दीक्षा-संस्कार
ये मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के रहने वाले है और सनातन धर्म के ज्ञान के अर्जन के लिए कानपुर आये। इसके बाद उन्होंने यहॉं पर संस्कृत भाषा का गहन अध्यन किया और वृन्दावन से श्रीमद्भागवत महापुराण की शिक्षा ग्रहण की। 39 वर्ष की आयु में अनन्त विभूषित ज्योतिषपीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज से प्रयाग में महावाक्य और श्रीमंत्र की दीक्षा ग्रहण की, दीक्षा-संस्कार के साथ ही शिष्यत्व ग्रहण किया और द्वारका शारदा पीठ के ब्रहमचारी बने।
अपनी श्रीमद्भागवत कथा की सुन्दर वाचन शैली से इन्होने देशभर में अपनी एक अलग पहचान बनायी है। वर्तमान में कथा वाचन के साथ-साथ बागपत आश्रम में मन्दिर व्यवस्था, गौशाला व्यवस्था, साधूसेवा, अतिथि सेवा और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे है। बताया कि वे आश्रम में बच्चों को सनातन धर्म की शिक्षा के लिए पाठशाला और वृद्धों की सेवा के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है और शीघ्र ही समाज के सहयोग से इन अच्छे कार्यो को पूरा कर लिया जायेगा।