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बागपत के प्रमुख तीर्थो में शुमार है अपना घर आश्रम अमीनगर सराय
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बागपत के प्रमुख तीर्थो में शुमार है अपना घर आश्रम अमीनगर सराय

बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन।

जनपद बागपत के अमीनगर सराय की धरती ने समाजसेवा के क्षेत्र में देशभर में अपनी एक अलग पहचान बनायी हुई है। अमीनगर सराय की इसी पवित्र और पावन धरती पर मानव सेवा का ऐसा अनुपम तीर्थ स्थित है जो जनपद बागपत को देशभर में गौरवान्वित करता है और बागपत के प्रमुख तीर्थो में शुमार है। अपना घर आश्रम अमीनगर सराय – शान्ति लोक भवन नाम के इस तीर्थ में उन बेसहारा लोगों की सेवा की जाती है जो मानसिक रूप से विक्षिप्त व मंदबुद्धि है।संस्था के संस्थापक, संरक्षक, पदाधिकारी व सहयोगी इस सेवा कार्य के लिए अपना कोई नाम और फोटो प्रकाशित नही कराना चाहते, कहते है कि वह सिर्फ माध्यम है जो कर रहा है प्रभु कर रहा है




ये ऐसे लोग होते है जिनके हाथ पर अगर भोजन भी रख दिया जाये तो उनको ये तक पता नही होता कि इस भोजन का क्या करना है। इस प्रकार के लोग आपको अधिकतर सड़को पर घूमते हुए दिख जाते है। यह संस्था ऐसे बेेसहारा मंदबुद्धि लोगों को आश्रम में लाकर उनके लिए भोजन, दवाईयां, उनको नहलाने, कपड़ा धुलाई, ड्रैस, नाश्ता, शेविंग, मनोरंजन, ठहरने आदि की व्यवस्था करती है।

अपना घर आश्रम से सम्पर्क कैसे करे । अपना घर आश्रम से सम्पर्क करने का तरीका

यह आश्रम 1200 गज भूमि पर बना हुआ है। इस आश्रम में पीड़ित लोगों के लिए 50 बैड़ सहित बिजली, पानी, गीजर, रसोई, पीड़ितो को लाने के लिए गाड़ी आदि अनेकों सुविधाएं प्रदान की गयी है। आधा दर्जन से अधिक सेवादार पीड़ित लोगों की सेवा में लगे हुए है और उनकी दिल से पूरी देखभाल करते है। संस्था के बोर्ड पर बेसहारा मंदबुद्धि लोगों की सूचना देने के लिए 7817005158, 9997584548, 9897679934 नम्बर अंकित है।




संस्था के संस्थापक, संरक्षक, पदाधिकारी व सहयोगी इस सेवा कार्य के लिए अपना कोई नाम और फोटो प्रकाशित नही कराना चाहते। उनका कहना है कि यह प्रभु के लोगों की सेवा है जो कुछ कर रहा है वह प्रभु है हम सिर्फ माध्यम मात्र है। संस्था के पदाधिकारियों का यही दृष्टिकोण व निस्वार्थ सेवाभाव इस संस्था को बागपत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल करता है।




आश्रम के अध्यक्ष ने बताया कि यह आश्रम मॉं माधुरी बृज वारिस सेवा सदन अपना घर संस्था बझेरा, भरतपुर राजस्थान की एक शाखा है। बताया कि सेवाकार्यो के लिए इस भवन का निर्माण शान्तिस्वरूप महाराज साहब की पुण्य स्मृति में 7 मार्च 1991 को विद्या परिवार द्वारा पूर्ण कराया गया।




30 मार्च 2020 को विद्यावती जैन धर्मपत्नी सुखवीर सिंह जैन की पावन पुण्य स्मृति में 30 मार्च 2020 को उनके पुत्रों डा प्रवीण कुमार जैन और प्रदीप कुमार जैन द्वारा इस भवन का पुनः जीर्णोद्धार कराकर अपना घर आश्रम की स्थापना की गयी। आश्रम में विभिन्न धर्मो व सम्प्रदाय के लोगों द्वारा यथासामर्थ्य निस्वार्थ भाव से सहयोग किया जाता है।


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