महाशिवरात्रि 2024 : महाशिवरात्रि का पर्व प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके भक्त व्रत करते हैं।
क्यों मनाई जाती है शिवरात्रि? क्या है इसकी मनाने का कारण?
किसी भी साल पड़ने वाली 12 शिवरात्रि में महाशिवरात्रि को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के पर्व पर ही भगवान शिव और देवी पार्वती शादी के बंधन में बंधे थे। इसलिए इसे शिव और शक्ति के मिलन की रात माना जाता है। जिससे पूरी दुनिया में संतुलन के रूप में देखा जाता है। शिव और शक्ति को एक साथ प्रेम, शक्ति और एकता के अवतार के रूप में पूजा जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।
भगवान राम और शिव जी का सम्बन्ध
भगवान राम को विष्णु जी का अवतार माना जाता है। विष्णु जी अर्थात राम जी शिव जी को अपना आराध्य मानते हैं और शिवजी विष्णु जी अर्थात राम जी को अपना आराध्य मानते हैं। शिव पुराण में स्वयं शिव जी ने कहा है की जो मेरा भक्त है और मेरी पूजा करता है लेकिन विष्णु भगवान अथवा राम जी की पूजा नहीं करता है उसकी पूजा को मैं स्वीकार नहीं करता हूं अर्थात महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान राम के नाम का जाप और उनकी पूजा विशेष फलदाई होती है।
शिव मंदिर में जाकर तीन बार ताली बजाने से पूर्ण होते हैं सारे मनोरथ।
रावण ने भगवान शिव के सामने तीन बार ताली बजाकर उनको प्रसन्न कर लिया था तीन बार ताली बजाने का अपना विशेष महत्व है। जब भी शिव मंदिर में जाएं तो शिव जी के सामने तीन बार ताली बजाये और अपने मनोरथ को उनके सामने प्रकट करें इससे सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ऐसे करें व्रत की शुरुआत
शिव भक्त महाशिव रात्रि अर्थात चतुर्दशी तिथि को पूजा करके व्रत करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन शिवजी को भांग, धतूरा, गन्ना, बेर और चंदन अर्पित किया जाता है। वहीं माता पार्वती को सुहागिन महिलाएं सुहाग की प्रतीक चूड़ियां, बिंदी और सिंदूर अर्पित किया जाता है। यदि आप उपवास करते हैं तो पूरे दिन फलाहार ग्रहण करें और नमक का सेवन न करें। यदि किसी वजह से नमक का सेवन करते हैं तो सेंधा नमक का सेवन करें।
महाशिवरात्रि व्रत की विधि
महाशिवरात्रि व्रत में ऊं नम: शिवाय का जप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जप करना संभव न हो, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जप किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उपवास की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। व्रत के दौरान भगवान राम के नाम का जाप और उनकी पूजा भी विशेष फलदाई होती है।
महाशिवरात्रि व्रत के लाभ
महाशिवरात्रि का व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। खासकर कि उन महिलाओं के लिए जो अविवाहित हैं। माना जाता है कि जो कन्याएं शिवरात्रि का व्रत करती हैं उन्हें जल्द ही व्रत का फल मिलता है और उनके विवाह के शीघ्र ही संयोग बन जाते हैं। वहीं विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं तो उन्हें चिर सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं और उनके परिवार में खुशहाली रहती है।