रिपोर्ट,दिलीप कुमार
बस्ती – कृषि में युवाओं को बनाए रखने के लिए उन्हें आकर्षित करने के उद्देश्य से आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या उत्तर प्रदेश से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र बस्ती पर आर्या परियोजना के अंतर्गत सात दिवसीय मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर रोजगारपरक प्रशिक्षण का आयोजन दिनांक 06 से 12 अगस्त, 2024 में किया गया। जिसमें जनपद के 20 नवयुवक एवं युवतियों ने प्रतिभाग लिया। प्रशिक्षण के अंतिम दिन मुख्य अतिथि फसल सुरक्षा अधिकारी राम शंकर ओझा ने प्रशिक्षणर्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा है कि गॉव स्तर पर वेरोजगार नवयुवकों एवं नवयुवतियों को रोजगार उपलब्ध करायें जाए जिससे उनके शहरों की ओर बढ रहे पलायन को रोका जा सके। इसी उद्देश्य के तहत आप लोगों को मशरूम उत्पादन तकनीक का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है क्योंकि यह भूमिहीन व गरीब कृषकों की आमदनी का जरिया है इसे अपनाकर वे स्वरोजगार सृजन कर सकते है।
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Toggleसात दिवसीय मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर रोजगारपरक प्रशिक्षण सम्पन्न
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ एस एन सिंह ने प्रशिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र सतत किसानों ,बेरोजगार युवको हेतु रोजगारपरक प्रशिक्षण समय-समय पर आयोजित करता रहता है जनपद बस्ती में 14 ब्लॉकों में कृषि विज्ञान केंद्र के सतत प्रयास से प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन के माध्यम से जनपद में वृहद पैमाने पर मशरूम उत्पादन की खेती कर बेरोजगार कृषक एवं युवा अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं कृषि विज्ञान केंद्र के लगातार प्रयास से जनपद के तीन ब्लॉक हरैया ,कप्तानगंज एवं बस्ती सदर मशरूम हब के रूप में स्थापित हो गए हैं यहां सैकड़ो की संख्या में कृषक परिवार मशरूम की खेती कर अपना जीवोपर्जन कर रहे हैं।
केंद्र की फसल सुरक्षा वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण कोर्स कोआर्डिनेटर डॉ प्रेम शंकर ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान मशरूम उत्पादन पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि मशरूम को विभिन्न नाम जैसे खुंब, छत्रक,धरती का फूल आदि नाम से जाना जाता है यह एक प्रकार की खाने योग्य फफूंद है इसमें क्लोरोफिल नहीं होता है मशरूम में अच्छी गुणवत्ता की प्रोटीन, विटामिन तथा मिनरल्स पाया जाता है यह डायबिटीज और शुगर के रोगियों के लिए एक आदर्श भोजन है इसकी खेती के लिए अधिक जमीन व खेतों की आवश्यकता नहीं होती है इसे घर के अंदर खाली कमरो,हाल, सेड,छप्पर में आसानी से उगाया जा सकता है भूमिहीन,गरीब,बेरोजगार युवको हेतु रोजगार का अच्छा जरिया है हमारे प्रदेश में मुख्यता बटन मशरूम ,दूधिया मशरूम एवं डिगरी मशरूम के खेती की जाती है । यह कम खर्च एवं कम जगह खेती बिना खेत के में खेती क्योंकि मशरूम प्रति इकाई क्षेत्रफल पर समय में सस्ती एवं सर्वाधिक उपज देने वाली फसल है । आय का उत्तम स्रोत है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि वानिकी कृषि डॉ पी के मिश्रा के मशरूम उत्पादन के आय – व्यय के बारे में जानकारी दी। केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक आर बी सिंह ने प्रशिक्षण के दौरान अपने संबोधन में प्रशिक्षणाथियों को अस्थाई झोपड़ी निर्माण के बारे में जानकारी दी।
पादप प्रजनन एवं अनुवांशिकी वैज्ञानिक डॉ वी बी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि बटन मशरूम की खेती के लिए कंपोस्ट एक अहम हिस्सा है जो कि लगभग एक माह में तैयार होती है।
केंद्र की गृह विज्ञान वैज्ञानिक डॉ अंजलि वर्मा ने प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणर्थियों को मशरूम से मशरूम से विभिन्न प्रकार के व्यंजन की रेसिपी के बारे में विस्तृत चर्चा की। शस्य वैज्ञानिक हरिओम मिश्र ने बताया कि बटन मशरूम की खाद तैयार करने में प्रयोग होने वाली पूरक सामग्री जैसे भूसा, चोकर, मुर्गी की खाद, यूरिया, सुपर ,पोटाश, कैन खाद आदि के बारे में बताया। प्रशिक्षण के अंत में प्रशिक्षणाथियों को प्रमाण पत्र, एवं आम पौध प्रजाति पूसा लालिमा , पूसा प्रतिभा , पूसा अरूणिमा, गौरजीत एवं सब्जी बीज (टमाटर ,भिंडी नैनुआ,लौकी) एवं प्रसार साहित्य वितरित की गई। प्रशिक्षण में कुल 25 में प्रतिभाग लिया।
