रिर्पोट: विवेक जैन | दिल्ली।
इंसानियत को गौरवान्वित करने वाली और प्रसिद्ध समाजसेवी सुभाष रानी जैन को उनकी 14 वीं पुण्यतिथि पर याद किया गया और उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। सुभाष रानी जैन का जन्म दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय नरेन्द्र जैन बहुत ही धार्मिक और सामाजिक व्यक्ति थे। उनकी माता स्वर्गीय प्रकाशवती देवी भी धार्मिक महिला होने के साथ-साथ लोगों की सहायता करने में बढ़-चढ़कर भाग लेती थी। अपने माता-पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए सुभाष रानी जैन ने आजीवन निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की सहायता की और धार्मिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह महिला सशक्तिकरण का एक अनुपम उदाहरण थी।
महान शख्सियत की धनी सुभाष रानी जैन कभी भी ऊॅंच-नीच, छोटे-बड़े, जाति-धर्म में भेदभाव नही करती थी और इंसानियत को ही अपना प्रथम कर्त्तव्य मानती थी। उनके हर धार्मिक और सामाजिक कार्य में उनके पति प्रकाशचन्द जैन ने उनका कदम-कदम पर साथ दिया। सुभाष रानी जैन का मानना था कि जरूरतमंद की सहायता इस प्रकार की जाये कि जरूरतमंद को भी पता ना चले कि सहायता किस व्यक्ति ने की। उनका कहना था कि अगर सीधे हाथ से दान दिया है तो उल्टे हाथ को भी पता नही चलना चाहिए।
इस तरह की महान विचारधारा की धनी महिला सुभाष रानी जैन ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार अनेकों लोगों पर उपकार किये लेकिन उन्होने कभी भी ना तो इसका जिक्र किया और ना ही कभी अपने द्वारा किये गये सहायता कार्यो पर घमंड़ किया। उनको इस संसार से गये हुए लगभग 14 वर्ष बीत चुके है इसके बाबजूद उनके द्वारा किये गये कार्य और शिक्षा अनेकों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुयी है और लोग उनके नक्शेकदम पर चलते हुुए परोपकार के कार्य में लगे हुए है।