बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन।
Bagahpat News - पावला बेगमाबाद गांव के सन्यास आश्रम ढाका ( Sanyas Ashram Dhaka ) कुटी में महान संत श्री श्री 1008 श्री आत्मानंद पुरी जी महाराज ( Atmanand Puri Ji Maharaj ) की पुण्यतिथि मनाई गयी। महाराज जी की पुण्यतिथि पर सर्वप्रथम पंडित विजयकांत शास्त्री ने विधि-विधान के साथ हवन सम्पन्न कराया। उसके उपरान्त एक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न गांवों और दूर-दराज क्षेत्रों से आये हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
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इस अवसर पर विजय एण्ड़ पार्टी (vijay and party ) द्वारा महाराजश्री की महिमा के एक से बढ़कर एक रागनी, भजन व कीर्तन प्रस्तुत किये गये, जिसने सभी का मन मोह लिया। प्रसिद्ध समाजसेवी और महाराजश्री के परम भक्तों में शुमार यशराम धामा ने बताया कि आत्मानंद पुरी जी महाराज वर्ष 1950 में इस स्थान पर आये और कुटी बनाकर रहने लगे। उस समय यहॉं पर घना जंगल था। बताया कि महाराजश्री बहुत बड़े तपस्वी और अद्धितीय शक्तियों के स्वामी थे और अधिकांश समय साधना में लीन रहते थे। महाराज श्री का वर्ष 1980 में शरीर पूरा हुआ।
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बताया कि बाबा के अनेकों भक्त हुए है वह भी बाबा की तरह ही चमत्कारी रहे है। बताया कि पहले शिष्य भगवतपुरी जी महाराज ( Bhagwatpuri Ji Maharaj ) हुए जो जूना अखाडे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। इनका निजी आश्रम गांव खट्टा प्रहलादपुर में है और वहीं इनकी समाधि भी बनी है। दूसरे शिष्य सुरेशपुरी जी महाराज है जिनकी प्रतिमा आत्मानंद पुरी जी महाराज की प्रतिमा के उल्टे हाथ की और विराजमान है। तीसरे शिष्य शान्तानन्द पुरी जी महाराज है। इनके बारे में बताया जाता है कि यह आत्मानंद पुरी जी महाराज के मन की इच्छा को जान लिया करते थे और महाराजश्री के बिना कहे ही उनकी इच्छा के अनुरूप कार्य करने में उनको महारथ हासिल थी। चौथे नम्बर पर महन्त जगदीशपुरी जी महाराज है जिनकी समाधि सुरेशपुरी महाराज की प्रतिमा के सीधे हाथ पर बनी है। बताया कि इन्होने स्वयं सांस रोककर समाधि ली थी।
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इस अवसर पर यशराम धामा, पंड़ित विवेक शर्मा, विजयकांत शास्त्री, महावीर पुरी जी महाराज, गजेन्द्र खटाना उर्फ हैप्पी भाई, गजानन्द गिरी जी महाराज, प्रमुख सामाजिक कार्यकर्त्ता व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार विपुल जैन, सतीश धामा, शशि, शैलेश धामा सहित हजारों लोग उपस्थित थे।पुण्यतिथि पर आत्मानन्दपुरी महाराज की महिमा का हुआ गुणगान